tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post172630149272245516..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: "गीत- प्यार हुआ आवारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-42244652096900707802011-06-23T12:53:39.087+05:302011-06-23T12:53:39.087+05:30पगडण्डी पर चोर-लुटेरे, चौराहों पर डाकू,
रिश्तों की...पगडण्डी पर चोर-लुटेरे, चौराहों पर डाकू,<br />रिश्तों की झाड़ी में पसरे, भाई बने लड़ाकू,<br />सम्बन्धों में गरल भरा है, प्यार हुआ आवारा।<br />छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।।<br />such baat hai aaj ki duniya bus matlab ki hi reh gayi hai.सुरेश राजपूतhttps://www.blogger.com/profile/17836886281031412257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-20764185390285530952011-06-22T12:09:18.923+05:302011-06-22T12:09:18.923+05:30"अब यही समाज के एक बड़े वर्ग का सत्य है और यह ..."अब यही समाज के एक बड़े वर्ग का सत्य है और यह वर्ग निरंतर दीर्घता की और ही अग्रसर है" - सत्योद्घाटित करती कविता - बधाई शास्त्री जीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-40990572277938423482011-06-22T10:09:58.701+05:302011-06-22T10:09:58.701+05:30मन में कोरा स्वार्थ समाया, मुख पर मीठी बातें,
ममता...मन में कोरा स्वार्थ समाया, मुख पर मीठी बातें,<br />ममता-समता झूठी-झूठी, झूठी सब सौगातें,<br />अपने ही हो गये बिराने, देगा कौन सहारा?<br />छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।।<br /><br />Bitter truth !<br />sad indeed <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-76460849499106595842011-06-22T10:07:16.318+05:302011-06-22T10:07:16.318+05:30आज की स्थिति का सटीक वर्णन करती अच्छी रचना .आज की स्थिति का सटीक वर्णन करती अच्छी रचना .संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-19915353171110412292011-06-22T09:14:27.427+05:302011-06-22T09:14:27.427+05:30प्यार हृदय से बाहर आये,
अपना जीवन व्यर्थ न जाये।प्यार हृदय से बाहर आये,<br />अपना जीवन व्यर्थ न जाये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-818119810473712622011-06-22T08:17:50.037+05:302011-06-22T08:17:50.037+05:30मन में कोरा स्वार्थ समाया, मुख पर मीठी बातें,
ममता...मन में कोरा स्वार्थ समाया, मुख पर मीठी बातें,<br />ममता-समता झूठी-झूठी, झूठी सब सौगातें,<br />अपने ही हो गये बिराने, देगा कौन सहारा?<br />छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।।<br />बिल्कुल सही कहा है आपने! सच्चाई को बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! शानदार रचना!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-22331950010423926812011-06-22T07:56:34.642+05:302011-06-22T07:56:34.642+05:30ख़ूबसूरत रचना...बच्चों को उड़ने दीजिये...परिंदे भी...ख़ूबसूरत रचना...बच्चों को उड़ने दीजिये...परिंदे भी बच्चों को छोड़ देते हैं...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-67899656767218213432011-06-22T03:54:07.288+05:302011-06-22T03:54:07.288+05:30"पर आने पर पंछी ने घर से कर लिया किनारा"..."पर आने पर पंछी ने घर से कर लिया किनारा" और" प्यार हुआ आवारा" बेहतरीन बिम्बात्मक प्रयोग पूरी एक घर घर की देश की कथा कहानी लिए हुए .इतने सशक्त और बहु -उत्पादल लेखन के लिए बधाई भी आभार भी आप ऐसे ही प्रेरणा सेतु बने रहें .दीर्घायु होवें .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-65209823603919792182011-06-22T00:12:54.149+05:302011-06-22T00:12:54.149+05:30अक्सर जब हम कोई सच्ची किताब या कोई सच्चा सिद्धान्त...अक्सर जब हम कोई सच्ची किताब या कोई सच्चा सिद्धान्त या कोई सच्ची रचना पढ़ या सुन रहे होते हैं तो हमें लगता है कि इसको तो हम पहले से ही जानते हैं, यह कोई नई बात नहीं है, शायद इसलिए कि वह हमारी ही अन्तरात्मा की आवाज़ होती है किन्तु परीक्षा की घड़ी आने पर सब बातें भूल जाती हैं और हम फ़ेल हो जाते हैं ज़िन्दगी के इम्तिहान में। इसी लिए उन बातों को पुन: पुन: कहने, पढ़ने और दुहराने की महती आश्यकता होती है। इस उद्देश्य को बख़ूबी पूर्ण करती हुई समाज के कड़वे सच का बयान करती आपकी यह रचना अत्यन्त ही उपयोगी है। बधाई स्वीकार करें।चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-73769020651549251972011-06-21T23:27:50.397+05:302011-06-21T23:27:50.397+05:30क्या भाईचारा छल फरेब से कभी मुक्त हो पायेगा भाई ज...क्या भाईचारा छल फरेब से कभी मुक्त हो पायेगा भाई जी ?भाई का मतलब तलाश कर रहा हूँ.उसकी मुक्ति का इंतजार कर रहा हूँ.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-17799972532216485212011-06-21T22:35:54.803+05:302011-06-21T22:35:54.803+05:30सच्ची रचना.सच्ची रचना.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-5921461499897371932011-06-21T22:14:10.389+05:302011-06-21T22:14:10.389+05:30छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।।
एकदम सच क...छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।।<br /><br />एकदम सच कहा है...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-81162381939037275512011-06-21T22:04:55.518+05:302011-06-21T22:04:55.518+05:30छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।।
khoobsura...छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।।<br /><br />khoobsuratसुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-66692429691710824962011-06-21T21:31:16.140+05:302011-06-21T21:31:16.140+05:30गीत बहुत बढ़िया है.
राजे शा साहब और रविकर जी की टि...गीत बहुत बढ़िया है. <br />राजे शा साहब और रविकर जी की टिप्पणियां !भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-4301447454091594042011-06-21T20:37:05.663+05:302011-06-21T20:37:05.663+05:30बहुत मर्मस्पर्शी ...बहुत मर्मस्पर्शी ...डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-15917408335458310282011-06-21T20:31:46.836+05:302011-06-21T20:31:46.836+05:30नहीं तमन्ना है दुलार की, नहीं प्यार में राहत,
सन्त...नहीं तमन्ना है दुलार की, नहीं प्यार में राहत,<br />सन्तानों को केवल है अब, अधिकारों की चाहत,<br />पर आने पर पंछी ने घर से कर लिया किनारा।<br />छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।।<br /><br />.....बहुत मर्मस्पर्शी..हरेक पंक्ति अंतस को छू जाती है..आज के यथार्थ का बहुत सशक्त चित्रण..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-60729951854282352512011-06-21T19:58:43.570+05:302011-06-21T19:58:43.570+05:30"pyaar huya aavaaraa .."naye ghar ki tal..."pyaar huya aavaaraa .."naye ghar ki talash men ??achhi pakad hai apki shayad anubhav gahara hai sir ji sadhuwadAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02141173624635243292noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-23679895605317896432011-06-21T19:35:28.900+05:302011-06-21T19:35:28.900+05:30नहीं तमन्ना है दुलार की, नहीं प्यार में राहत,
सन्त...नहीं तमन्ना है दुलार की, नहीं प्यार में राहत,<br />सन्तानों को केवल है अब, अधिकारों की चाहत,<br />पर आने पर पंछी ने घर से कर लिया किनारा।<br />छल-फरेब की कारा में, जकड़ा है भाईचारा।।<br /><br />आज की सच्चाई को खूबसूरती से उभारा है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-29542804915360375182011-06-21T17:59:21.035+05:302011-06-21T17:59:21.035+05:30Rajey Sha राजे_शा ने कहा…
@ मन्दिर, मस्िजद,चर्...Rajey Sha राजे_शा ने कहा…<br />@ मन्दिर, मस्िजद,चर्च की जगह सुलभ शौचालय, रैन बसेरे, धर्मशालाएं, अस्पताल जरूरी हैं इत्यादि इत्यादि।<br /><br /><br />sir jee unemployment badh jaayegi.<br />bahut bade rojgaar kendra hain ye.<br /><br />kalpana kijiye jara---<br /><br />karodon logoe ke bhukhe marne ki noubat aa jayegi<br /><br />aur---<br />duniya me apradh bhi badh jaayenge vo alag. kamsekam lakhon dukaane hainchadhave ki phool mala ki <br />chandan agabatti ki.रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-13092984581017637632011-06-21T17:42:11.377+05:302011-06-21T17:42:11.377+05:30सत्य और सारी ... समाज का आइना है ये रचना ..सत्य और सारी ... समाज का आइना है ये रचना ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-80237675120641409642011-06-21T17:31:04.816+05:302011-06-21T17:31:04.816+05:30सार्थक रचना।सार्थक रचना।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-86008553101287976522011-06-21T17:06:50.219+05:302011-06-21T17:06:50.219+05:30मौजूदा दौर की सच्चाईमौजूदा दौर की सच्चाईAtul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-67398511471356401492011-06-21T16:27:24.106+05:302011-06-21T16:27:24.106+05:30सही है शास्त्री जी समस्याओं का वर्णन है, पर व्य...सही है शास्त्री जी समस्याओं का वर्णन है, पर व्यावहारिक निदान भी दें जैसे कि, जातिप्रथा हटाने के लिये चाहिये कि लोग सरनेम उपनाम का प्रयोग छोड़ दें, धर्मनिरपेक्षता के पचड़े से बचने के लिये धर्म वैयक्ितक चीज होनी चाहिये मन्दिर, मस्िजद,चर्च की जगह सुलभ शौचालय, रैन बसेरे, धर्मशालाएं, अस्पताल जरूरी हैं इत्यादि इत्यादि।Rajeyshahttps://www.blogger.com/profile/01568866646080185697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-49952428344079518982011-06-21T16:25:39.391+05:302011-06-21T16:25:39.391+05:30सन्तानों को केवल है अब, अधिकारों की चाहत,
कर्तव्य...सन्तानों को केवल है अब, अधिकारों की चाहत,<br /><br />कर्तव्य - पथ <br /><br />बिसराता मनुष्य <br /><br />अधिकार पर <br /><br />हर्षाता युग<br /><br /> निकृष्ट जीवन <br /><br /> आत्मा अशुद्ध <br /><br /> भूलते यथार्थ <br /><br /> अनर्गलता पुष्ट <br /><br /> चेतो रे चश्मों <br /><br />बहाओ प्रेम-नीर<br /><br />देखने को हर्षित <br /><br />देश है अधीररविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-7311415582940487222011-06-21T16:15:36.509+05:302011-06-21T16:15:36.509+05:30धन्यवाद शास्त्री जी.
और प्रति टिप्पणी नहीं करने वा...धन्यवाद शास्त्री जी.<br />और प्रति टिप्पणी नहीं करने वाले आप की यह प्रति टिप्पणी यह स्वतः प्रकट कर रही है कि आप अपने पाठकों व टिप्पणीकारों से कितना जुड़े रहते हैं.<br /><br />आलोचना तो कर ही दी है पर सच्ची आलोचना तभी पूर्ण होगी जब मैं यह कहूँ कि अब यही समाज के एक बड़े वर्ग का सत्य है और यह वर्ग निरंतर दीर्घता की और ही अग्रसर है. <br />सत्योद्घाटित करती कविता.RadhaKannaujia13dastakhttps://www.blogger.com/profile/18078076967560774457noreply@blogger.com