tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post1822198914451427518..comments2024-03-25T20:26:21.589+05:30Comments on उच्चारण: "फिर भी एकाकीपन है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-66381885667142439602012-01-13T13:02:07.685+05:302012-01-13T13:02:07.685+05:30तन रूखा है, मन भूखा है,
अँखियों का पानी सूखा है
रा...तन रूखा है, मन भूखा है,<br />अँखियों का पानी सूखा है<br />रात चाँदनी, दिन उजियारे,<br />फिर भी एकाकीपन है। <br />vaah..bahut khoobsurat prastuti.aapko lohdi ki dheron shubhkamnayen.Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-4181208405817698552012-01-13T05:06:44.698+05:302012-01-13T05:06:44.698+05:30तन रूखा है, मन भूखा है,
अँखियों का पानी सूखा है,
र...तन रूखा है, मन भूखा है,<br />अँखियों का पानी सूखा है,<br />रात चाँदनी, दिन उजियारे,<br />फिर भी एकाकीपन है।<br />बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति ..<br />सादर अभिनन्दन !!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16174745947449762169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-64899777018795686452012-01-12T22:33:43.441+05:302012-01-12T22:33:43.441+05:30मन बेगाना, हुआ दिवाना,
कितना है ये, क्रूर जमाना,
प...मन बेगाना, हुआ दिवाना,<br />कितना है ये, क्रूर जमाना,<br />पास सभी हैं अपने सारे,<br />फिर भी एकाकीपन है। <br />बेहतरीन अभिव्यक्ती ..मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-21273174791741624672012-01-12T22:09:21.326+05:302012-01-12T22:09:21.326+05:30ये आंसू मेरे दिल की जुबां हैं .......मैं रो दूं तो...ये आंसू मेरे दिल की जुबां हैं .......मैं रो दूं तो रोदें आंसू ,मैं हंस दूं तो हंस दें आंसू ....virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-36017087810247755372012-01-12T22:05:31.415+05:302012-01-12T22:05:31.415+05:30संगी-साथी और सहेली,
महल-दुमहले और हवेली,
इतना सब ह...संगी-साथी और सहेली,<br />महल-दुमहले और हवेली,<br />इतना सब है पास हमारे,<br />फिर भी एकाकीपन है।<br />मन हर कौना सूना है ......बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...सब कुछ रीता रीता सा है ......virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-16960644411638956272012-01-12T21:17:43.421+05:302012-01-12T21:17:43.421+05:30यह एकाकीपन इसलिए भी हैकि आदमी ने मकान बनाया, दुकान...यह एकाकीपन इसलिए भी हैकि आदमी ने मकान बनाया, दुकान बनाया. खेत और खलिहान बहाया. लेकिन स्वयं को इन्सान नहीं बनाया, आज मानव हैरान है, इस प्रगतिशीलता में ही परेशान है, क्योकि वह बाकी सब कुछ है, बस! एक इंसान नहीं है. इंसानियत को कुचलने वाला, मानवता को छोड़ने वाला की आखिर यही गति होती है. धन से भीड़ तो एकत्रित की जा सकती है , मित्र नहीं बनाया जा सकता. कोठियां तो बनवायी जा सकती है परंरू 'घर एक मंदिर' नहीं. सोने चाँदी के पलंग बनवाये जा सकते हैं पान्तु नींद नहीं खरीदी जा सकती. सुख-शान्ति नहीं लाया जा सकता. आदमी की आदमी अंततः बना पड़ेगा. इंसानियत और मानवता का पालन करना पड़ेगा. सचेत करती और सव परिष्कार का आह्वान करती एक सार्थक पोस्ट.आभार.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-75903585369966420152012-01-12T21:15:32.129+05:302012-01-12T21:15:32.129+05:30यह एकाकीपन इसलिए भी हैकि आदमी ने मकान बनाया, दुकान...यह एकाकीपन इसलिए भी हैकि आदमी ने मकान बनाया, दुकान बनाया. खेत और खलिहान बहाया. लेकिन स्वयं को इन्सान नहीं बनाया, आज मानव हैरान है, इस प्रगतिशीलता में ही परेशान है, क्योकि वह बाकी सब कुछ है, बस! एक इंसान नहीं है. इंसानियत को कुचलने वाला, मानवता को छोड़ने वाला की आखिर यही गति होती है. धन से भीड़ तो एकत्रित की जा सकती है , मित्र नहीं बनाया जा सकता. कोठियां तो बनवायी जा सकती है परंरू 'घर एक मंदिर' नहीं. सोने चाँदी के पलंग बनवाये जा सकते हैं पान्तु नींद नहीं खरीदी जा सकती. सुख-शान्ति नहीं लाया जा सकता. आदमी की आदमी अंततः बना पड़ेगा. इंसानियत और मानवता का पालन करना पड़ेगा. सचेत करती और सव परिष्कार का आह्वान करती एक सार्थक पोस्ट.आभार.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-84792074976337860862012-01-12T17:42:39.829+05:302012-01-12T17:42:39.829+05:30इस एकाकीपन से जीतना बड़ा कठिन है
अच्छी रचनाइस एकाकीपन से जीतना बड़ा कठिन है <br />अच्छी रचनाMamta Bajpaihttps://www.blogger.com/profile/00085992274136542865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-78827026961108062892012-01-12T16:09:43.488+05:302012-01-12T16:09:43.488+05:30आधुनिक सुविधाओं के होते हुवे भी मन अकेला हो जाता ह...आधुनिक सुविधाओं के होते हुवे भी मन अकेला हो जाता है ... अकेलेपन को उजागर करती रचना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-71059714424572814832012-01-12T13:17:34.403+05:302012-01-12T13:17:34.403+05:30sundar, saral, laajabaab prastuti.sundar, saral, laajabaab prastuti.Jeevan Pushphttps://www.blogger.com/profile/15866178821083740220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-37511130660825079802012-01-12T12:33:37.441+05:302012-01-12T12:33:37.441+05:30तन रूखा है, मन भूखा है,
अँखियों का पानी सूखा है
रा...तन रूखा है, मन भूखा है,<br />अँखियों का पानी सूखा है<br />रात चाँदनी, दिन उजियारे,<br />फिर भी एकाकीपन है।<br />गहन भाव संयोजन ...सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-53485283496515996252012-01-12T12:04:19.063+05:302012-01-12T12:04:19.063+05:30आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृ...आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है<br />कृपया पधारें<br /><a href="http://charchamanch.blogspot.com/2012/01/39-756.html" rel="nofollow">चर्चा मंच-756:चर्चाकार-दिलबाग विर्क</a>दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-75376019183126996952012-01-12T11:23:19.327+05:302012-01-12T11:23:19.327+05:30कमाल की अभिव्यक्ति!! ला-जवाब
तन रूखा है, मन भूखा ...कमाल की अभिव्यक्ति!! ला-जवाब<br /><br />तन रूखा है, मन भूखा है,<br />अँखियों का पानी सूखा है,<br />रात चाँदनी, दिन उजियारे,<br />फिर भी एकाकीपन है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-33803457716755499142012-01-12T08:20:11.732+05:302012-01-12T08:20:11.732+05:30saathi na sangee koi...sakhi na saheli...kin sang ...saathi na sangee koi...sakhi na saheli...kin sang khelegee to laado akelee.....सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-59961805182769567872012-01-12T08:12:30.272+05:302012-01-12T08:12:30.272+05:30अकेलापन आज के समय में अपनी सोच की ही उपज है |
कवित...अकेलापन आज के समय में अपनी सोच की ही उपज है |<br />कविता बहुत अच्छी लगी |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-76633860755494872562012-01-12T05:53:59.269+05:302012-01-12T05:53:59.269+05:30Jeevan ke ek shashwat satya se parichay karati rac...Jeevan ke ek shashwat satya se parichay karati rachana. bahut bahut badhai.मो. कमरूद्दीन शेख ( QAMAR JAUNPURI )https://www.blogger.com/profile/13575519013876254297noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-41458841491004803362012-01-12T01:01:48.229+05:302012-01-12T01:01:48.229+05:30दुनिया में अकेले आए हैं और अकेले ही चले जाना है......दुनिया में अकेले आए हैं और अकेले ही चले जाना है.......Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-33865698313645860572012-01-12T00:05:22.929+05:302012-01-12T00:05:22.929+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार ...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/2011/12/blog-post_22.html" rel="nofollow"> ...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़ </a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-75914201771671228662012-01-12T00:04:09.688+05:302012-01-12T00:04:09.688+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार ...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/2011/12/blog-post_22.html" rel="nofollow"> ...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़ </a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-71736230325921073382012-01-11T22:52:00.256+05:302012-01-11T22:52:00.256+05:30चल अकेला चल अकेला....चल अकेला चल अकेला....भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-14221147111651791612012-01-11T22:22:44.015+05:302012-01-11T22:22:44.015+05:30बहुत खूब..
पास सभी हैं अपने सारे,
फिर भी एकाकीपन ह...बहुत खूब..<br />पास सभी हैं अपने सारे,<br />फिर भी एकाकीपन है।<br />सच कहा एकदम...vidyahttps://www.blogger.com/profile/07319211419560198769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-22719565493208538752012-01-11T22:14:45.894+05:302012-01-11T22:14:45.894+05:30सुंदर प्रस्तुति,अकेला पन ही कुछ सोचने को मजबूर कर...सुंदर प्रस्तुति,अकेला पन ही कुछ सोचने को मजबूर करता है,...<br />welcome to new post <a href="http://dheerendra11.blogspot.com/2012/01/blog-post_09.html#links" rel="nofollow">--काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-12634199133992906092012-01-11T21:48:01.174+05:302012-01-11T21:48:01.174+05:30यह एकाकीपन हमें हमारे बारे में सोचने को विवश करता ...यह एकाकीपन हमें हमारे बारे में सोचने को विवश करता है। और तब हम उस के रू-ब-रू होने की कामना करने लगते हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-16425447078622265432012-01-11T20:31:05.602+05:302012-01-11T20:31:05.602+05:30कुछ तो मन में काटता है..सुन्दर विश्लेषणकुछ तो मन में काटता है..सुन्दर विश्लेषणप्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-282714616853469582012-01-11T20:12:25.559+05:302012-01-11T20:12:25.559+05:30तन रूखा है, मन भूखा है,
अँखियों का पानी सूखा है,
र...तन रूखा है, मन भूखा है,<br />अँखियों का पानी सूखा है,<br />रात चाँदनी, दिन उजियारे,<br />फिर भी एकाकीपन है।<br /><br />....सच में सब कुछ है...पर फिर भी एकाकीपन है..बहुत सटीक और सुन्दर प्रस्तुति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com