tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post2882225167030431280..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: "ज्येठ भ्राता सम मेरे बहनोई मा. रघुनन्दन प्रसाद"डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-36257543071737931212018-08-24T16:06:25.424+05:302018-08-24T16:06:25.424+05:30RIPRIPdr.sunil k. "Zafar "https://www.blogger.com/profile/13096911048421117572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-66900920954479898652018-08-23T12:34:36.444+05:302018-08-23T12:34:36.444+05:30अपने किसी भी प्रिय व्यक्ति के सदा-सदा के लिए चले ज...अपने किसी भी प्रिय व्यक्ति के सदा-सदा के लिए चले जाने का दुःख क्या होता है इसका दुःखद अहसास जीवन में सबको ही कभी न कभी होता ही है, हमारे हाथ में कुछ होता नहीं सिवाय धीरज धारण करने के, बस वक़्त-बेवक्त उनकी यादों का आना-जाना लगा रहता है .......... <br />हार्दिक श्रद्धांजलि रघुनन्दन जी को!<br /><br />कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-52160294420135769772018-08-22T23:30:32.762+05:302018-08-22T23:30:32.762+05:30आदरणीय सर --अपनों के इस तरह जाने की पीड़ा से ऐसा क...आदरणीय सर --अपनों के इस तरह जाने की पीड़ा से ऐसा कौन है जो वाकिफ ना होगा |आप तो बहुत ही विद्वान हैं आपको कुछ कह पाने की योग्यता मुझे में नहीं-<br /><br /> पर साहिर लुधियानवी जी की अमर पंक्तियाँ है -<br /><br /> उतना ही उपकार समझ -<br /><br />कोई जितना साथ निभादे ;<br /><br />जन्म मरण का मेल है सपना -<br /><br />ये सपना बिसरादे ,<br /><br />कोई ना संग मरे !!<br /><br /> इस जीवन की चढती -ढलती <br /><br /> धूप को किसने बांधा?<br /><br />रंग पे किसने पहरे डाले <br /><br />रूप को किसने बांधा ?<br /><br /> काहे ये जतन करे -<br /><br /> मन रे तू काहे ना धीर धरे !!!!!!<br /><br /> हौसला रखे |<br /><br />आदरणीय दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि!!<br /><br /> सादर प्रणाम <br /><br />रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-33221908901912077762018-08-22T23:28:54.470+05:302018-08-22T23:28:54.470+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-18885533729859152112018-08-22T22:18:55.864+05:302018-08-22T22:18:55.864+05:30हिम्मत रखिये। विधी का विधान है। जिसने आना है उसे ज...हिम्मत रखिये। विधी का विधान है। जिसने आना है उसे जाना भी है। नमन और श्रद्धांजलि रघुनन्दन जी के लिये।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com