tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post4137804984323264813..comments2024-03-25T20:26:21.589+05:30Comments on उच्चारण: गीत-प्रीत का व्याकरण "कैसे बचे यहाँ गौरय्या" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-57362343621818839082021-01-18T19:59:51.584+05:302021-01-18T19:59:51.584+05:30नन्ही मासूम चिड़िया 'गौरैया' के लिए दिल में...नन्ही मासूम चिड़िया 'गौरैया' के लिए दिल में दर्द जगाती खूबसूरत रचना!Gajendra Bhatt "हृदयेश"https://www.blogger.com/profile/10602466047679507399noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-59009249223750372632021-01-15T10:06:44.478+05:302021-01-15T10:06:44.478+05:30चिड़िया का तो छोटा तन है,
छोटे तन में छोटा मन है,
...चिड़िया का तो छोटा तन है,<br />छोटे तन में छोटा मन है,<br />विष को नहीं पचा पाती है,<br />इसीलिए तो मर जाती है,<br />सुबह जगाने वाली जग को,<br />यथार्थ पूर्ण रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ।<br />सादर ।<br /> सधु चन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/03218271250912628033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-85731687617674652762021-01-12T22:29:53.158+05:302021-01-12T22:29:53.158+05:30गौरैया के संरक्षण में जितनी बाधाएं हैं उनका उल्लेख...गौरैया के संरक्षण में जितनी बाधाएं हैं उनका उल्लेख करते हुए बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आपने शास्त्री जी, यथार्थ पूर्ण रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं..सादर नमन.. जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-58710720579752330992021-01-12T17:24:51.593+05:302021-01-12T17:24:51.593+05:30बहुत सुंदर सार्थक सृजनबहुत सुंदर सार्थक सृजनDr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-72564296039822337462021-01-12T17:19:39.256+05:302021-01-12T17:19:39.256+05:30अन्न उगाने के लालच में,
ज़हर भरी हम खाद लगाते,
खाक...अन्न उगाने के लालच में,<br />ज़हर भरी हम खाद लगाते,<br />खाकर जहरीले भोजन को,<br />रोगों को हम पास बुलाते,<br />घटती जाती हैं दुनिया में,<br />अपनी ये प्यारी गौरय्या।<br />सही कहा आपने.....बहुत ही सुन्दर सार्थक लाजवाब सृजन।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-25688812089874067012021-01-12T06:27:20.443+05:302021-01-12T06:27:20.443+05:30इंसान अब नहीं समझ सका तो कभी नहीं समझ सकेगा
वन्दन...इंसान अब नहीं समझ सका तो कभी नहीं समझ सकेगा<br /><br />वन्दन<br /><br />मार्मिक रचनाविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-15872756681123209082021-01-12T05:09:23.642+05:302021-01-12T05:09:23.642+05:30बहुत सुंदर और सार्थक कविता।बहुत सुंदर और सार्थक कविता।Nitish Tiwaryhttps://www.blogger.com/profile/06484230743667707116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-9074186562539315822021-01-11T15:28:19.540+05:302021-01-11T15:28:19.540+05:30ज़िंदा रहना है तो सुधरना ही होगाज़िंदा रहना है तो सुधरना ही होगागगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-29318815834153758722021-01-11T09:29:08.629+05:302021-01-11T09:29:08.629+05:30अन्न उगाने के लालच में,
ज़हर भरी हम खाद लगाते,
खाक...अन्न उगाने के लालच में,<br />ज़हर भरी हम खाद लगाते,<br />खाकर जहरीले भोजन को,<br />रोगों को हम पास बुलाते,<br />घटती जाती हैं दुनिया में,<br />अपनी ये प्यारी गौरय्या।<br />पर्यावरण संरक्षण में प्राकृतिक संसाधनों के स्थान पर कृत्रिम संसाधनों के भारी प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभावों को उकेरती हृदयस्पर्शी रचना ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-71279428924440153862021-01-10T12:37:53.613+05:302021-01-10T12:37:53.613+05:30खेतों में विष भरा हुआ है,
ज़हरीले हैं ताल-तलय्या।
...खेतों में विष भरा हुआ है,<br />ज़हरीले हैं ताल-तलय्या।<br />दाना-दुनका खाने वाली,<br />कैसे बचे यहाँ गौरय्या?<br /><br />वाकई बहुत गंभीर स्थिति को अपनी रचना के माध्यम से प्रस्तुत किया है आपने। इंसान अपने नन्हें साथियों का दुश्मन बन बैठा है। इस पर सभी को चिंतन करना चाहिए। <br />बधाई इस श्रेष्ठ रचना के लिए।<br />सादर नमन 🌹🙏🌹Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.com