tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post6154015057567970701..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: "सुरभित सुमन रोया हुआ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-32284160017743984772012-11-04T11:37:14.029+05:302012-11-04T11:37:14.029+05:30मन मे मैल भरा तो साबुन लगाने से का होय
इन्ही पॅि...मन मे मैल भरा तो साबुन लगाने से का होय<br /> इन्ही पॅिक्तयो से सम्बंधित रचनाओ को प्रकट कर धयानाकर्षण के लिये धन्यवाद <br /><br /><a href="http://yunik27.blogspot.com" title="दीपावली पर पाठको का स्वा,गत करे " rel="nofollow">यूनिक ब्लॉग---------जीमेल की नई सेवा </a>विनोद सैनीhttps://www.blogger.com/profile/18177623002384744066noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-82235564170847659962012-11-04T06:56:42.260+05:302012-11-04T06:56:42.260+05:30सुमनों की 'पंखुडियां' नोचीं हास किया है मै...सुमनों की 'पंखुडियां' नोचीं हास किया है मैला |<br />'आस्थाओं'को किया मलिन,'विशवास' किया है मैला ||<br />वास५तव में आप की बात सटीक है ! देवदत्त प्रसूनhttps://www.blogger.com/profile/06275143755319297820noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-49297173095022761382012-11-04T03:09:23.683+05:302012-11-04T03:09:23.683+05:30अति सुन्दर ....बिलकुल सच्ची बातें काफी गहरी.अति सुन्दर ....बिलकुल सच्ची बातें काफी गहरी.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-71472642566134333502012-11-03T16:49:48.852+05:302012-11-03T16:49:48.852+05:30बहुत गहरे भाव सहेजे हैं..बहुत गहरे भाव सहेजे हैं..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-3717003636446225262012-11-03T12:35:25.884+05:302012-11-03T12:35:25.884+05:30कोयले की खान में, हीरा कहाँ से आयेगा
मैल है मन में...कोयले की खान में, हीरा कहाँ से आयेगा<br />मैल है मन में भरा, केवल बदन धोया हुआ<br /><br /><br />बहुत सुंदर, काश लोग समझ पाएं महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-32024222149117308242012-11-03T09:35:54.006+05:302012-11-03T09:35:54.006+05:30खोट ने पॉलिश लगाकर "रूप" कंचन का धरा
पुण...खोट ने पॉलिश लगाकर "रूप" कंचन का धरा<br />पुण्य ने बनकर श्रमिक अब, पाप को ढोया हुआ-----बहुत सार्थक पंक्तियाँ आज के सामजिक परिवेश में करारा व्यंग्य करती हुई शानदार प्रस्तुति बधाई आपको <br />Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-4901395625223091442012-11-03T04:13:42.402+05:302012-11-03T04:13:42.402+05:30 अपना दल और अपना बल है ,पैंसठ सालों का अनुभव है ,
... अपना दल और अपना बल है ,पैंसठ सालों का अनुभव है ,<br /><br />हमने तो बस यह सीखा है ,भोजन भूखे का संबल है .<br /><br /> (2)<br /><br /><br />इत्मीनान से भोजन करके ,खूब मौज आराम करो ,<br /><br />आरोपों से क्या डरना है ,अपना अपना काम करो .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-69232028311432239252012-11-03T04:01:16.837+05:302012-11-03T04:01:16.837+05:30शुक्रवार, 2 नवम्बर 2012
"सुरभित सुमन रोया हु...शुक्रवार, 2 नवम्बर 2012<br /><br />"सुरभित सुमन रोया हुआ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')<br /><br /> नीड़ में सबके यहाँ प्रारब्ध है सोया हुआ<br />काटते उसकी फसल जो बीज था बोया हुआ<br /><br />खोलकर अपनी न देखी, दूसरों की खोलता<br />गन्ध को है खोजता, मूरख हिरण खोया हुआ<br /><br />कोयले की खान में, हीरा कहाँ से आयेगा<br />मैल है मन में भरा, केवल बदन धोया हुआ<br /><br />अब तो माली ही वतन का खाद-पानी खा रहे <br />इस लिए आता नज़र सुरभित सुमन रोया हुआ<br /><br />खोट ने पॉलिश लगाकर "रूप" कंचन का धरा<br />पुण्य ने बनकर श्रमिक अब, पाप को ढोया हुआ<br /><br /><br />कोयले की धुंध में पूरी अटी सरकार है ,<br /><br />भ्रष्ट होने का यहाँ ,सबको मिला अधिकार है .<br /><br />आज के राजनीतिक परिवेश का परिपूर्ण प्रक्षेपण करती रचना है .बधाई शास्त्री <br /><br />जी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-60869900830648109272012-11-03T03:57:27.153+05:302012-11-03T03:57:27.153+05:30शुक्रवार, 2 नवम्बर 2012
"सुरभित सुमन रोया हु...शुक्रवार, 2 नवम्बर 2012<br /><br />"सुरभित सुमन रोया हुआ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')<br /><br /> नीड़ में सबके यहाँ प्रारब्ध है सोया हुआ<br />काटते उसकी फसल जो बीज था बोया हुआ<br /><br />खोलकर अपनी न देखी, दूसरों की खोलता<br />गन्ध को है खोजता, मूरख हिरण खोया हुआ<br /><br />कोयले की खान में, हीरा कहाँ से आयेगा<br />मैल है मन में भरा, केवल बदन धोया हुआ<br /><br />अब तो माली ही वतन का खाद-पानी खा रहे <br />इस लिए आता नज़र सुरभित सुमन रोया हुआ<br /><br />खोट ने पॉलिश लगाकर "रूप" कंचन का धरा<br />पुण्य ने बनकर श्रमिक अब, पाप को ढोया हुआ<br /><br /><br />कोयले की धुंध में पूरी अटी सरकार है ,<br /><br />भ्रष्ट होने का यहाँ ,सबको मिला अधिकार है .<br /><br />आज के राजनीतिक परिवेश का परिपूर्ण प्रक्षेपण करती रचना है .बधाई शास्त्री <br /><br />जी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-68150168400610467872012-11-03T00:40:54.515+05:302012-11-03T00:40:54.515+05:30बहुत ख़ूबबहुत ख़ूबचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-47673466964599349312012-11-03T00:40:27.156+05:302012-11-03T00:40:27.156+05:30बहुत ख़ूबबहुत ख़ूबचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-11629420042857446302012-11-02T17:02:41.713+05:302012-11-02T17:02:41.713+05:30नीड़ में सबके यहाँ प्रारब्ध है सोया हुआ
काटते उसकी...नीड़ में सबके यहाँ प्रारब्ध है सोया हुआ<br />काटते उसकी फसल जो बीज था बोया हुआ<br /><br />अब तो माली ही वतन का खाद-पानी खा रहे <br />इस लिए आता नज़र सुरभित सुमन रोया हुआ<br /><br />बहुत सुन्दर !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-39841619507449809242012-11-02T16:30:52.109+05:302012-11-02T16:30:52.109+05:30कोयले की खान में, हीरा कहाँ से आयेगा
मैल है मन में...कोयले की खान में, हीरा कहाँ से आयेगा<br />मैल है मन में भरा, केवल बदन धोया हुआ,,,,,बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,,<br /><br />सभी ब्लॉगर परिवार को करवाचौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं,,,,, <br /><br />RECENT POST <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/11/blog-post.html#links" rel="nofollow">: समय की पुकार है,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-18954779589841053632012-11-02T16:27:00.354+05:302012-11-02T16:27:00.354+05:30कवच कर भर कंकन घन रूप कंचन का धरा ।
पुण्य श्रमिक क...कवच कर भर कंकन घन रूप कंचन का धरा ।<br />पुण्य श्रमिक के कर स्वेद सीकर पिरोया हुवा ।। <br />Neetu Singhalhttps://www.blogger.com/profile/14843330374912315760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-9768208250776894412012-11-02T15:26:15.963+05:302012-11-02T15:26:15.963+05:30बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को...बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-72109001717645852892012-11-02T12:48:57.332+05:302012-11-02T12:48:57.332+05:30बहुत गूढ़ गूढ़ बातें कही आपने शास्त्री जी | बहुत उ...बहुत गूढ़ गूढ़ बातें कही आपने शास्त्री जी | बहुत उम्दा |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12634209491911135236noreply@blogger.com