tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post6869864328610364987..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: "गीत-आफत के परकाले" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-56730854513677806782014-04-24T13:12:05.780+05:302014-04-24T13:12:05.780+05:30बेहतरीन कांग्रेस पर अब तक की सबसे अच्छी कविताबेहतरीन कांग्रेस पर अब तक की सबसे अच्छी कविताअभिषेक शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/06009944798501737095noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-35536199561854471152014-04-23T23:10:52.354+05:302014-04-23T23:10:52.354+05:30सशक्त व्यंग्य उन लोगों पर जिनका लिखा हुआ भाषण हवा...सशक्त व्यंग्य उन लोगों पर जिनका लिखा हुआ भाषण हवा में उड़ जाए तो कागज़ से पहले धड़ाम से गिर पढ़ें मंच पर। आफत के परकाले ,काले धन के रखवाले क्या जीजा क्या साले। <br /><br />ज़रूरी नहीं हैं सब बूटलीकर हों। वैसे तलुवे चाटना भी एक कला है नियति नहीं। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-86859266134276517162014-04-23T23:08:52.160+05:302014-04-23T23:08:52.160+05:30रीत यहाँ की क्या जाने?
महलों में जो रही सदा.
वो नि...रीत यहाँ की क्या जाने?<br />महलों में जो रही सदा.<br />वो निर्धनता क्या पहचाने?<br />अंग विदेशी-ढंग विदेशी, जनता पर डोरे डाले।<br />पश्चिम की सभ्यता बताते, क्या जीजा अरु क्या साले?<br /><br />वंशवाद की बेल सींचती,<br />प्रजातन्त्र की क्यारी में।<br />डोर हाथ में अपने रखती,<br />सारथी बनी सवारी में।<br />असरदार-सरदार सभी तो, अपने दरबे में पाले।<br />पश्चिम की सभ्यता बताते, क्या जीजा अरु क्या साले?<br /><br />सशक्त व्यंग्य उन लोगों पर जिनका लिखा हुआ भाषण हवा में उड़ जाए तो कागज़ से पहले धड़ाम से गिर पढ़ें मंच पर। आफत के परकाले ,काले धन के रखवाले क्या जीजा क्या साले। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-7635269950767323282014-04-23T22:07:28.995+05:302014-04-23T22:07:28.995+05:30इस बेटी ने अपने पिता के बम -विस्फोट में टुकड़े -टुक...इस बेटी ने अपने पिता के बम -विस्फोट में टुकड़े -टुकड़े हुए देंखें हैं। आप इस बेटी के विषय में ऐसा कैसे लिख सकते हैं -अंग विदेशी-ढंग विदेशी, जनता पर डोरे डाले।Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-483683598610993542014-04-23T21:23:36.417+05:302014-04-23T21:23:36.417+05:30आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-04-2014 को चर्चा मंच ...आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-04-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है <br />आभार दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-42324918439532253122014-04-23T20:22:00.645+05:302014-04-23T20:22:00.645+05:30बहुत सटीक अभिव्यक्ति...लाज़वाब..बहुत सटीक अभिव्यक्ति...लाज़वाब..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com