tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post8187193082490005107..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: "शून्य की महिमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-677213021042739852013-04-05T15:43:37.516+05:302013-04-05T15:43:37.516+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुती .........शून्य का रहस्यवाद बहुत सुन्दर प्रस्तुती .........शून्य का रहस्यवाद अलका गुप्ता 'भारती'https://www.blogger.com/profile/10876182579624664658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-8976353704955772412013-04-04T14:32:22.570+05:302013-04-04T14:32:22.570+05:30शून्य से ही नाद है और शून्य से ही शब्द हैं।
शून्य ...शून्य से ही नाद है और शून्य से ही शब्द हैं।<br />शून्य के बिन, प्राण-मन, सम्वेदना निःशब्द हैं।..<br /><br />शून्य से शुरू हुई श्रृष्टि शून्य में ही समा जाती है ... हम भी तो वो ही करते हैं ...<br />शशक्त प्रभावी रचना ... नमस्कार शास्त्री जी ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-26189283668723728122013-04-04T08:11:37.818+05:302013-04-04T08:11:37.818+05:30एक सार्थक पोस्ट ...
बहुत ऊँचे को शून्य से गुणा करद...एक सार्थक पोस्ट ...<br />बहुत ऊँचे को शून्य से गुणा करदो उसका काम हो जायेगा :)<br /><br /> मेरे ब्लॉग पर भी आइये ..<br />पधारिये <a href="http://rohitasghorela.blogspot.in/2013/04/blog-post_4.html#comment-form" rel="nofollow">आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा </a> (राजस्थानी कविता)Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-30079131485064297382013-04-03T18:45:37.875+05:302013-04-03T18:45:37.875+05:30शून्य की व्यापकता की सुन्दर प्रस्तुति शून्य की व्यापकता की सुन्दर प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-2593298674899980192013-04-03T16:04:21.312+05:302013-04-03T16:04:21.312+05:30कल दिनांक 04/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nay...<i><b><br />कल दिनांक 04/04/2013 को आपकी यह पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i><br />Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-71113080148862697672013-04-03T12:56:40.364+05:302013-04-03T12:56:40.364+05:30शून्य से ही सब कुछ है। शून्य से ही सब कुछ है। भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-33035690636653828932013-04-03T12:53:12.668+05:302013-04-03T12:53:12.668+05:30
सर्वमान्य-सर्वविदित, शून्य-महिमा का
वर्णन भाया.ध...<br /><br />सर्वमान्य-सर्वविदित, शून्य-महिमा का<br />वर्णन भाया.धन्यवाद.<br />मन के - मनकेhttps://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-17671751324915817712013-04-03T11:19:52.747+05:302013-04-03T11:19:52.747+05:30शून्य से उपज, सब शून्य में समा जाना है।शून्य से उपज, सब शून्य में समा जाना है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-75408308198402438172013-04-03T10:49:11.695+05:302013-04-03T10:49:11.695+05:30बहुत उत्कृष्ट रचना। बहुत उत्कृष्ट रचना। अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-9977182521550559622013-04-02T23:18:47.849+05:302013-04-02T23:18:47.849+05:30सही बात ... गहरी अभिव्यक्ति सही बात ... गहरी अभिव्यक्ति डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-20908719101992500022013-04-02T22:35:26.642+05:302013-04-02T22:35:26.642+05:30shuny ki mahima anant hai,bahut hi sundar prastuti...shuny ki mahima anant hai,bahut hi sundar prastutiअज़ीज़ जौनपुरीhttps://www.blogger.com/profile/16132551098493345036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-91110505408854397062013-04-02T21:28:03.033+05:302013-04-02T21:28:03.033+05:30शून्य में हैं कल्पनाएँ, शून्य मे है जिन्दगी।
शून्य...शून्य में हैं कल्पनाएँ, शून्य मे है जिन्दगी।<br />शून्य में है भावनाएँ, शून्य में है बन्दगी।।<br /><br />सार्थक एवं सशक्त प्रस्तुति ...<br /><br /><b>Recent post </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/04/blog-post.html#comment-form" rel="nofollow">: होली की हुडदंग कमेंट्स के संग</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-66854723068838458932013-04-02T21:10:19.666+05:302013-04-02T21:10:19.666+05:30सही कहा आपने सर!
सब कुछ शून्य से ही उपजा है... और ...सही कहा आपने सर!<br />सब कुछ शून्य से ही उपजा है... और शून्य पर ही ख़त्म.....<br />~सादर!!!Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-3371980487448916542013-04-02T19:52:15.385+05:302013-04-02T19:52:15.385+05:30मूलरूप में संख्या केवल दो ही हैं- एक (१) और शून्य ...मूलरूप में संख्या केवल दो ही हैं- एक (१) और शून्य (०). समझने और समझाने की दृष्टि से व्यावहारिक रूप में अनंत (∞) को इसमें भी सम्मिलित किया जा सकता है. इससे <br />सृष्टि की व्याख्या में सरलता होगी. परमतत्व एक (१) है; तत्वरूप में भी और इकाईरूप में भी. इस परमतत्व का प्रकटन और विलोपन होता रहता है. प्रकटरूप में अनंत है, गतिज ऊर्जा है और विलोपन (प्रलय) की स्थिति में वही शून्य है. प्रलयावस्था में यह अनंत निष्क्रिय, अर्थहीन हो जाता है और केवल शून्य ही शेष बचता है. इस स्थिति में कोई माप नहीं, कोई मान नहीं, कोई दृश्य नहीं, कोई सृष्टि नहीं, कोई दृष्टि नहीं, कोई द्रष्टा नहीं. परन्तु अस्तित्वाव्मान का अस्तित्व है, मूलऊर्जा विद्यमान है- स्थितिज ऊर्जा के रूप में. इसके अस्तित्व को नाकारा नहीं जा सकता. अरे ये सारे अंक तो ‘शून्य’ और ‘अनन्त’ के बीच का विवर्त है. शून्य के साथ अंक जुड जाने से वह भौतिक रूप से मूल्यवान–रूपवान हो <br />जाता है. सगुण हो जाता है. यह सगुण तो निर्गुण में ही प्रतिष्ठित है. मृत्यु इसी लिए बड़ी है किसी भी जीवन से. जीवन मृत्यु में विश्राम पता है और यह प्रकृति और सृष्टि प्रलय में, शून्य में. Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-89196525116469810292013-04-02T19:42:32.008+05:302013-04-02T19:42:32.008+05:30बहुत ही सुन्दर बेहतरीन रचना....
बहुत ही सुन्दर बेहतरीन रचना....<br />अमर भारती शास्त्रीhttps://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-4906917955306624192013-04-02T18:08:20.038+05:302013-04-02T18:08:20.038+05:30बहुत से व्यक्ति भावशून्य होते हैं।आगे पीछे क्या चल...बहुत से व्यक्ति भावशून्य होते हैं।आगे पीछे क्या चल रहा है इससे मतलब ही नही रखते है.बहुत ही बेहतरीन और सार्थक संदेस देती सुन्दर रचना...सादर आभार.Rajendra kumarhttps://www.blogger.com/profile/00010996779605572611noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-4613469706021142542013-04-02T16:49:26.035+05:302013-04-02T16:49:26.035+05:30शून्य से ही नाद है और शून्य से ही शब्द हैं।
शून्य ...शून्य से ही नाद है और शून्य से ही शब्द हैं।<br />शून्य के बिन, प्राण-मन, सम्वेदना निःशब्द हैं।।<br /><br />शून्य में हैं कल्पनाएँ, शून्य मे है जिन्दगी।<br />शून्य में है भावनाएँ, शून्य में है बन्दगी।।<br />बेहद सार्थक एवं सशक्त प्रस्तुति ... आभार<br /><br />सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com