tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post8254590622267705839..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: गीत "गौरय्या का गाँव" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-44121441774371747162021-09-07T22:24:49.184+05:302021-09-07T22:24:49.184+05:30सच्चाई को बयां करती बहुत ही खूबसूरत रचना! सच्चाई को बयां करती बहुत ही खूबसूरत रचना! Manisha Goswamihttps://www.blogger.com/profile/10646619362412419141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-26635928802134407072021-09-07T16:09:42.948+05:302021-09-07T16:09:42.948+05:30यथार्थ सुंदर!
सरलता से आज के सत्य को कहती सुंदर र...यथार्थ सुंदर!<br /> सरलता से आज के सत्य को कहती सुंदर रचना।<br />मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-83604973994854570252021-09-07T15:44:36.274+05:302021-09-07T15:44:36.274+05:30सच कहा । कैसा दमघोंटू दौर में जी रहे हैं हम । सच कहा । कैसा दमघोंटू दौर में जी रहे हैं हम । Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-47547942933559378772021-09-07T15:05:03.762+05:302021-09-07T15:05:03.762+05:30बहुत सुन्दर मधुर गीत | इसे बार बार गाकर पढने को मन...बहुत सुन्दर मधुर गीत | इसे बार बार गाकर पढने को मन करेगा | बहुत सुन्दर सरस |आलोक सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/17318621512657549867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-4816966097282744502021-09-07T12:35:59.666+05:302021-09-07T12:35:59.666+05:30हमने पता नहीं, जाने-अनजाने कितने जीवों का जीवन दुष...हमने पता नहीं, जाने-अनजाने कितने जीवों का जीवन दुष्कर कर दिया है !गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-43671867862119032662021-09-07T10:52:36.933+05:302021-09-07T10:52:36.933+05:30सच्चाई बयाँ करती सुंदर सार्थक रचना।सच्चाई बयाँ करती सुंदर सार्थक रचना।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-19806969190032225132021-09-06T19:53:09.857+05:302021-09-06T19:53:09.857+05:30जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल...जी नमस्ते ,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(०७ -०९-२०२१) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />'गौरय्या का गाँव'(चर्चा अंक- ४१८०)</a> पर भी होगी।<br />आप भी सादर आमंत्रित है। <br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-81539468597295236012021-09-06T17:43:23.239+05:302021-09-06T17:43:23.239+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-19358677481811315602019-12-29T11:59:30.957+05:302019-12-29T11:59:30.957+05:30बहुत सुंदर रचना आदरणीयबहुत सुंदर रचना आदरणीयAnuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-64238546460810521492019-12-28T15:32:17.949+05:302019-12-28T15:32:17.949+05:30जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा ...<br />जी नमस्ते,<br /><br /><br /><br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२९-१२ -२०१९ ) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">" नूतनवर्षाभिनन्दन" (चर्चा अंक-३५६४) </a> पर भी होगी।<br /><br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />आप भी सादर आमंत्रित है <br />**<br />अनीता सैनीअनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-78180947563314085352019-12-28T13:22:23.134+05:302019-12-28T13:22:23.134+05:30दबा सुरीला कोयल का सुर,
अब कागा की काँव में।
दम घु...दबा सुरीला कोयल का सुर,<br />अब कागा की काँव में।<br />दम घुटता है आज चमन की,<br /> ठण्डी-ठण्डी छाँव में।।<br /><br />सच तो यह भी है कि अब कागा की काँव-काँव भी बमुश्किल सुनाई देती है <br /><br />खोज रहे हैं शीतल छाया,<br />कंकरीट की ठाँव में।<br />दम घुटता है आज चमन की,<br /> ठण्डी-ठण्डी छाँव में।।<br /><br />सच कंक्रीट के घरों में दिल भी उसी जैसा हो गया है <br /><br />बदलते परिवेश की कसक कलम की छटपटाहट बोल ही देती हैं <br /><br />बहुत सुन्दर कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com