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गुरुवार, 26 फ़रवरी 2009
खुशियों की सौगात लिए होली आई है (डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
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खुशियों की सौगात लिए होली आई है।
जवाब देंहटाएंरंगों की बरसात लिए, होली आई है।।
अच्छे भाव, सुन्दर गीत।
बेहतरीन होली गीत।
जवाब देंहटाएंहोली पर मेरी मुबारकवाद।
ब्लाग पर प्रतिदिन कुछ न कुछ लिखते हैं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत के लिए बधाई।
आप त्योहारों पर अच्छा लिख रहे हैं।
जवाब देंहटाएंबधाई।
एक ही दिन में दो-दो होली गीत।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखते हैं।
बधाई।
आपकी कलम सशक्त है।
जवाब देंहटाएंहोली गीत के लिए शुभकामनाएँ।
शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंआपकी सभी टिप्पणियाँ काव्यात्मक होती हैं। जिन्हें पढ़ने में बड़ा आनन्द आता है।
कृपया इस विधा को जारी रखें। मेरे विचार से कविता में टिप्पणी करने वाले आप अकेले व्यक्ति हैं।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजाड़ा भागा, गरमी आई,
जवाब देंहटाएंहोली यह सन्देशा लाई,
कोयल बोल रही बागों में,
कौए ने पाँखे खुजलाई।
ठण्डी कुल्फी हाथ लिए, होली आई है।
रंगों की बरसात लिए, होली आई है।
वास्तव में होली का माहौल बना दिया इन पंक्तियों ने. आभार.
Madhari , gujhiya ki baat se to man lalcha diya ji aapane ....Sunad rachana, Dhanywad!
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