कर्म का नही चक्र रुकना चाहिए,
यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।।
ह्रास तो भगवान का, खलता रहेगा।
यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।।
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धर्म की राहें, कुटिल सी हो गयीं,
जवाब देंहटाएंह्रास तो भगवान का, खलता रहेगा।
यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।।
बहुत सुन्दर शास्त्री जी
दीपावली के पावन पर्व पर हार्दिक मंगल कामनाएँ !
जवाब देंहटाएंदीपावली के शुभ अवसर पर आपको और आपके परिवार को शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएं"आलोक-पर्व की अनंत हार्दिक मंगल कामनाएँ"
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
बहुत सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
बहुत सुंदर. दीपावली की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर व बढिया रचना है।बधाई शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंदीवाली की शुभकामनाएं।
बड़ी संवेदना है आपके उच्चारण में. अक्सर पढता हूँ आपका उच्चारण. लेकिन कभी दो घडी कोई गुफ्तगू नहीं की आपसे. लेकिन आपकी कविता पढ़ कर ऐसा लगा जैसे दिल के भावः दिल को छु गए हो. बधाई के साथ साथ गुफ्तगू परिवार की और से दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाये. मयंक जी आपकी कविता पढ़ कर इतना तो कह सकता हूँ की आप अपने दिल के भावः को शब्दों में पिरो कर कविता लिखते है और मैं उन्ही भावो से गुफ्तगू करता हूँ. पुनः बधाई और दीवाली मुबारक
जवाब देंहटाएंदिवाली की समस्त शुभकामनाएं पुरे परिवार को ...
जवाब देंहटाएंअर्श
aaj kal aap ki rachnayen nikhar par.bahut achchha lag raha hai.itihaas rach rahe hain aap. dil se badhai!!
जवाब देंहटाएंसत्य का झण्डा कभी झुकता नही,
जवाब देंहटाएंसूर्य तो अज्ञान का, ढलता रहेगा।
यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।।
bahut hi gyan ki baat kahi hai aapne..........
bahut sunder
ज्ञान ही प्रकाश है !
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