रहते थे पास में जो, वो दूर हो गये हैं।
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सोमवार, 26 अक्तूबर 2009
"मजबूर हो गये हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
रहते थे पास में जो, वो दूर हो गये हैं।
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मगरूर थे कभी जो मजबूर हो गये, बहुत ही भावमय प्रस्तुति आभार
जवाब देंहटाएंसपने हुए सयाने, सच को लगे चिढ़ाने,
जवाब देंहटाएंअब देखकर हकीकत, काफूर हो गये हैं।
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
bauht hi bhaavpoorn prastuti ke saath ek sunder kavita.......
रहते गुमान में थे. बैठे जो शान से थे,
जवाब देंहटाएंपर्वत से टूटकर कर वो,सब चूर हो गये हैं।
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
बहुत सुन्दर,
मगरूर थे कभी जो उन्हें मजबूर कर दिया है
घूमते वक्त के पहिये ने सब चूर-चूर कर दिया है
लेकिन इंसान तब भी सुधरता !!
"रहते गुमान में थे. बैठे जो शान से थे,
जवाब देंहटाएंपर्वत से टूटकर कर वो,सब चूर हो गये हैं।
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।। "
" bahut hi badhiya ...bhavpurn ."
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
सच लिखा आपने मयंक जी...
जवाब देंहटाएंमहलों में रहने वाले, मजदूर हो गये हैं।
जवाब देंहटाएंमगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
sundar peshkash
सुन्दर कविता!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शव्दो से सजाया आप ने इस ्रचना को, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमहलों में रहने वाले, मजदूर हो गये हैं।
जवाब देंहटाएंमगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
यही लाइन सटीक है शास्त्री जी
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने !
जवाब देंहटाएंसपने हुए सयाने, सच को लगे चिढ़ाने,
जवाब देंहटाएंअब देखकर हकीकत, काफूर हो गये हैं।
मगरूर थे कभी जो, मजबूर हो गये हैं।।
प्राभावशाली अभिव्यक्ति .....
waqt har kisi ka guroor tod deta hai............bahut hi umda rachna
जवाब देंहटाएंसच को सलीके से सजाया गया है।
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।
सपने हुए सयाने, सच को लगे चिढ़ाने,
जवाब देंहटाएंअब देखकर हकीकत, काफूर हो गये हैं ........
सपने तो सपने होते हैं......... सयाने हो जाएँ तो पूरे हने को मचलते हैं ......
भावनात्मक रचना है .......
बहुत बढ़िया, शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंरहते गुमान में थे. बैठे जो शान से थे,
जवाब देंहटाएंपर्वत से टूटकर कर वो,सब चूर हो गये हैं। बहुत सुंदर.....
व़र्तमान और भविष्य एक सा नहीं रहता। कल तक जो मजबूत थे आज मजबूर हो गए हैं। यही विधान है। बढिया अभिव्यक्ति।
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