A Red Red Rose poem - Robert Burns अनुवादक: डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” |
लाल-लाल गुलाब का नज़ारा प्यार का रंग है बहुत प्यारा लाल-लाल गुलाब की तरह होता है इसका नज़ारा जून में चहका है मधुमास मीठी धुनों का हो रहा है आभास मेरी बोनी सजी है कला के मेले में, हम खोये हैं प्यार की गहराइयों के खेले में समुद्र को समुद्री-गिरोह ने सुखा दिया है कठोर चट्टानों को सूरज ने पिघला दिया है लेकिन प्रियतमा! हमारा प्यार स्थिर रहेगा तब तक ये सूखा रेत चलता रहेगा जब तक मेरे प्यार! मैं हजारों मील तक जाऊँगा और दस हजार मील से भी वापिस आऊँगा सिर्फ प्यार के लिए! |
Robert Burns
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dr sahab namaskaar kripya yadi sambhav ho to mool kavita ka angreji path bhi dene ka kast karein
जवाब देंहटाएंsadar
suman
बहुत आभार आपका.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह बहुत सुन्दर! लाजवाब!
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारे एहसासों की कविता का खूबसूरत अनुवाद किया है....बधाई
जवाब देंहटाएंaabhar .... achchhi kavita se subah shuru hui
जवाब देंहटाएंlovely poem !
जवाब देंहटाएंदस हजार मील से भी
जवाब देंहटाएंवापिस आऊँगा
सिर्फ प्यार के लिए!
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अविस्मरणीय!
bahut hi sundar kavita aur utna hi sundar anuvaad.
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