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किन्तु नहीं मैं समझ ये पाया
जवाब देंहटाएंइन्सानों की क्या है माया
दोनों पर है चढ़ी जवानी
पर दोनों की भिन्न कहानी
मुझको सीने से चिपकाते
किन्तु तुझे नही हाथ लगाते
Waah, Shashtri ji waah ! bahut khoob !
काले हीरे की खानों का
जवाब देंहटाएंआदर होता गुणवानों का
बहुत सुंदर
मयंक जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। आपकी तुलनात्मक दृष्टि प्रशंसा के काबिल है।
बहुत ही बढ़िया...
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur sateek rachna ki hai.
जवाब देंहटाएंabhaar.
sahi hai sab khushboo ki maya hai..
जवाब देंहटाएंवाह शनदार रचना लिखा है आपने! बहुत बढ़िया लगा!
जवाब देंहटाएंकाले हीरे की खानों का
जवाब देंहटाएंआदर होता गुणवानों का
सटीक बात ...गुण हों तो बुराइयां भी अपना ली जाती हैं....बहुत सुन्दर कविता
bahut khub..
जवाब देंहटाएंमहक लुटाता वही सुमन है
जवाब देंहटाएंगन्ध सुमन का आभूषण है
क्या बात कही है !!
बेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता....
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्रीजी !
जवाब देंहटाएंरचना का नवनीत ही संपूर्ण जीवन का सूत्रवाक्य भी है ।
महक लुटाता वही सुमन है
गन्ध सुमन का आभूषण है
http://shabdswarrang.blogspot.com
समय निकाल कर मेरे ब्लॉग "शस्वरं" पर भी आशीर्वाद देने पधारें ।
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कम शब्दों में बहुत कुछ कह गयी यह कविता !
जवाब देंहटाएंwah wah wah....
जवाब देंहटाएंrgds,
surender
http://shayarichawla.blogspot.com/
सत्य को प्रेषित करती सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंbadi bejod tulna ki hai........gazab ki prastuti.
जवाब देंहटाएंदोनों पर है चढ़ी जवानी
जवाब देंहटाएंपर दोनों की भिन्न कहानी
....बहुत सुंदर।
बहुत सुन्दर तुलनात्मक कविता है ! इंसानों की परख भी गुणों से होनी चाहिए । लेकिन अफ़सोस कि ऐसा नहीं होता है, बल्कि बाहरी रंग ढंग और दिखावे से ज्यादा होता है ।
जवाब देंहटाएंकिन्तु नहीं मैं समझ ये पाया
जवाब देंहटाएंइन्सानों की क्या है माया
दोनों पर है चढ़ी जवानी
पर दोनों की भिन्न कहानी
मुझको सीने से चिपकाते
किन्तु तुझे नही हाथ लगाते
BAHUT SUNDAR RACHNA
SHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
shashtri ji, 1 baat satya hai....... manav bhi issi tarah se apne ko prastut karta hai.........
जवाब देंहटाएंjis insaan ne swayam ko kantako me bhi suvasit rakhne ka aur apne saath saath dusro ko bhi saundarya aabha se ot-prot karta hai, ghulaab sa khil jaata hai..........
jisne iss naagfani sa vyavhaar rakha, kshanbhangur sa khilta aur murjha jaata hai...........
Aur itna to hum sab jaante hai, ghulab ke bagiche lagte hain, aur Naagfani ka jhaad matr
बहुत सुंदर चित्रण किया है
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