मन में उठ रहे हैं
बहुत से सवाल
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सही मुद्दे को लेकर आपने बहुत ही शानदार रूप से प्रस्तुत किया है! न जाने कब हमारे देश से भ्रष्टाचारी ख़त्म होगी! कभी बाबा रामदेव तो कभी कोई नेता प्रतिदिन अख़बार और न्यूज़ में हमारे देश की हालत के बारे में सुनने को मिलता है!
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता !
जवाब देंहटाएंसबकी एक ही चिन्ता है।
जवाब देंहटाएंkhoobsurat sammayik kavita
जवाब देंहटाएंbahut sundar !
नेता कलम की मार से बच न पायंगे
जवाब देंहटाएंनेता जो भी कहे सच ना पायेंगे
बहुत अच्छा लिखा है आपने
आपकी चिंता उचित है शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंकाले धन से अधिक काले मन की अधिक चिंता है.
क्यूंकि काले धन का कारण भी तो काला मन ही है.
मेरे ब्लॉग पर अभी तक आपके दर्शन नहीं हुए हैं.
लगता है आमों की दावत लंबी चल रही है.
चले हुए नौ-दिन हुए, चला अढ़ाई कोस |
जवाब देंहटाएंलोकपाल का करी शुभ्र, तनिक होश में पोस || करी = हाथी
...
जवाब देंहटाएंक्योंकि
उजले तन में
छिपा हुआ है काला मन
प्रश्न है विकराल
बुने जा रहे हैं जाल
क्या बन पायेगा ?
सवाल बड़ा विकराल है
सचमुच बड़ा बुरा हाल है
सटीक चित्रण !
धन्यवाद !
प्रश्न है विकराल
जवाब देंहटाएंबुने जा रहे हैं जाल
बहुत सही कहा है आपने ।
्बहुत कठिन है डगर पनघट की
जवाब देंहटाएंएक सवाल में कई सवाल...होगा भी कोई लोकपाल...हो जाए तब अहं सवाल...कैसा होगा लोकपाल
जवाब देंहटाएंसार्थक चिन्ता ...
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जवाब देंहटाएंअच्छी व सच्ची रचना...
आभार
पढ़ शास्त्री जी का ये सवाल ...?
जवाब देंहटाएंसफ़ेदपोशों का होगा, बुरा हाल |
शुभकामनायें!
पता नहीं क्या बन पायेगा..
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंhamesha ki tarah behtreen kavita sachchaai ko ujagar karti.
जवाब देंहटाएंसही कहा...शर्म से नहीं...गुस्से से इनके चेहरे लाल हो रहे हैं...
जवाब देंहटाएंdr.sahib lokpal nahi banega,yadi bana bhi to usake upar bhi ek?????pal baithana padega thanx
जवाब देंहटाएंहमें भी लोकपाल का इंतज़ार है पर हम वो दिन नहीं देखना चाहते जब ये लोकपाल भी बेअसर एक्ट्स की कतार में खड़ा नज़र आए|
जवाब देंहटाएंummeed karta hoon lokpal jaldi se aa jaaye!!
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