आतंकी हमले हुए, सफल हुए षड़यन्त्र। फिर से निष्फल हो गया, अपना खुफिया तन्त्र।। दहशतगर्दों के लिए, स्वर्ग हुआ यह देश। अमल-धवल सी घरा का, बिगड़ गया परिवेश।। शासक अब भी बोलते, रटे-रटाए मन्त्र। वाचालों की चाल में, उलझ गया जनतन्त्र।। महामहिम के द्वार से, मिला न कोइ ज़वाब। कारागृह में खा रहे, जमकर माल कसाब।। |
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शुक्रवार, 15 जुलाई 2011
"मेरी कलम से कुछ दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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आज 15- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
____________________________________
कसाब को भी प्रसाद मिले।
जवाब देंहटाएं:(
जवाब देंहटाएं:(
अजब सी बेबसी है यह - जी तो करता है कि क्या कुछ न कर गुज़रें , परन्तु करने के नाम पर कुछ भी नहीं कर पाते हम !!!
हमको तो अच्छी लगी ये
जवाब देंहटाएंकविता की फटकार,
बाकी तो सब जानते
नहीं होगा चमत्कार...
हाँ शास्त्री जी ||
जवाब देंहटाएंदोहे के विस्फोट
या बम के
कम न कर सकेंगे उनके पास के काले नोट
या बेवकूफों से मिलने वाले वोट ||
साहित्यकार बेचारा |
कागज पर टपकाता है खून के आंसू ||
बेहतरीन लिखा है हर शब्द ...।
जवाब देंहटाएंदोहो के माध्यम से हर दिल का दर्द उभर कर आया है।
जवाब देंहटाएंदहशतगर्दों के लिए, स्वर्ग हुआ यह देश।
जवाब देंहटाएंअमल-धवल सी घरा का, बिगड़ गया परिवेश।।
सटीक लिखा है आपने! सच्चाई को आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! शानदार दोहे!
कारागृह में खा रहे, जमकर माल कसाब।
जवाब देंहटाएंdesh ka mal to hai hi dushmanon ke nam.bahut sudar prastuti .badhai shastri ji
आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
जवाब देंहटाएंलिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
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कारागृह में खा रहे, जमकर माल कसाब।
जवाब देंहटाएंबहुत जबरदस्त लिखा है....
kasaab aakhi aapke yahan bhi aa gaya.kitna khushnaseeb hai ye
जवाब देंहटाएंany waay dohe kamaal ke likhe hain.
maja aa gaya padh ke.aapko badhaai.
बहुत बढ़िया दोहे.. अंतिम दोहा तो लाजवाब.. अदभुद...
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना...
जवाब देंहटाएंसामयिक और सटीक दोहे.
जवाब देंहटाएंदेश को भ्रष्टाचार का घुन लग गया है...ये तो होना ही है...जब हमारी संस्थाएं ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं...तो किसी बाहर वाले को दोष देना ठीक नहीं...कसाब और अफज़ल तो सिर्फ जगाने का काम कर रहे हैं...पर हम भी बेहयाई की हद तक सोये पड़े हैं...
जवाब देंहटाएंवाकई कमाल के दोहे हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार दोहे...
जवाब देंहटाएंजन जन की बात कह दी आपने....
सादर...