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इतने गंभीर विषय पर आपने कितनी सरलता से सबकी दृष्टि डाली है..!!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ..!!!
जीवन सब का अपना होता है उस पर किसी अन्य का हक नहीं है पर जिम्मेदारी बनती है ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ... यही है जीवन ...
जवाब देंहटाएंमां बाप तो बस अपना फ़र्ज़ पूरा करते हैं । बच्चों का उड़ना उनकी नियति है । यही सांसारिक धर्म है ।
जवाब देंहटाएंमार्मिक |
जवाब देंहटाएंदिल के करीब ||
यही है ज़िन्दगी का सच्…………वो हमे बताते हैं कि जीवन ऐसे जीना चाहिये मोह के भंवर मे नही फ़ंसना चाहिये मगर हम मानव मोह रूपी दलदल से कभी उबर ही नही पाते और फिर बाद मे पछताते हैं ………बस यही फ़र्क है उनमे और हम मे…………।
जवाब देंहटाएंbahut gahre bhaav hain is sansmaran me.yahi duniya ki reet hai.Vandna ji ne sahi likha hai hume in pakshiyon se seekh leni chahiye moh maya me nahi padna chahiye.pankh nikalne par bachchon ko udne me madad karni chahiye.kal ye humari jaroorat ke samay vaapas aayenge upar vaale par chhod dena chahiye.agar aasha hi nahi karenge to nirasha aas pas nahi aayegi.
जवाब देंहटाएंशायद यही अंतर है पंछियों और इंसान में ...कि हम ग़तलफ़हमियां पाल लेते हैं {और वे सच्चाई जानते हैं} :)
जवाब देंहटाएंअपने सामने किसी जिन्दगी को बढते देखना अच्छा लगता है
जवाब देंहटाएंवो कबूतर के बच्चे हो या अपने ...एक जिन्दगी बढती है
ऐसा ही वाकया मेरे साथ भी हुआ ....एक कबूतर के जोड़े को
मेरे यहाँ भी पनाह मिली ......अब फिर पूरा परिवार शाम को
यही आसरा पाता है
गरा दृष्टान्त दिया आपने।
जवाब देंहटाएंकबूतर के प्रति आपकी संवेदना आपके कोमल मन का द्योतक है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरी बात कही शाश्त्री जी, खग मार्ग यही है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
dr.sahib yahi to shrisati ka niyam hai.
जवाब देंहटाएंबस एक इस उम्मीद में, कुछ दिन तसल्ली से कटें|
जवाब देंहटाएंखुद अपने से ही आप कटता जा रहा हर आदमी||
घनाक्षरी समापन पोस्ट - १० कवि, २३ भाषा-बोली, २५ छन्द
बहुत सुन्दरता एवं सरलता से आपने इस गहरे विषय का उल्लेख किया है! शायद इसी वजह से इंसान और पक्षी में इतना अंतर है! दिल को छू गई!
जवाब देंहटाएंvery touching...
जवाब देंहटाएंबड़ा उत्तम कार्य है किसी बेजुबान की मदद करना । वैसे आज कल मां बाप को उम्मीद कम ही रखनी चाहिये कि बच्चे सहारा बनेंगे अपने बुढ़ापे के लिये बचत करना ही श्रेयस्कर है ।
जवाब देंहटाएंsarthak bhaavo ko prstut karti post...
जवाब देंहटाएंइसी आशा में जीवन का क्रम चलता रहता है ...
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