होली
का हुड़दंग मचा है,
गाँव-गली, घर-द्वारों
में।
ठण्डाई
और भंग घुट रही,
आंगन
और चौबारों में।
प्रेम-गीत
और ढोल नगाड़े,
साज
सुरीले बजते हैं,
रंग-बिरंगी
पिचकारी की,
धूम मची बाजारों में।
राधा-रानी, कृष्ण-कन्हैया,
हँसी-ठिठोली
करते है,
गोरी
की चोली भीगी है,
फागुन-फाग, फुहारों
में।
![]()
खुशियों
के सन्देशे लेकर,
पवन-बसन्ती
आयी है,
दुल्हिन
का मन रंगा हुआ है,
सतरंगी
बौछारों में।
कर
सोलह सिंगार धरा ने,
अनुपम
छटा बिखेरी है,
खेत, बाग, वन-मन-उपवन,
छाये
हैं मस्त बहारों में।
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शनिवार, 23 मार्च 2013
"होली का हुड़दंग" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर भावभीनी होली गीत "मयंक "जी ,होली की अग्रिम शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंlatest post भक्तों की अभिलाषा
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बहुत सुंदर होली गीत, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर,होली की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावभीनी होली के गीत,सादर आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंगुरु जी वाह लग रहा है होली सप्ताह चल रहा है ,जैसे जैसे होली पास आ रही है आपकी रचनाएँ रंगीन होती जा रही हैं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंकल दिनांक 24/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर होलीमय रचना।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "
बहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
खुशियाँ छायें अबकी होली..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर! होली का रंगभरा वातावरण... :-)
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
सुंदर !
जवाब देंहटाएंहोली की बधाईयाँ !
सुन्दर होली गीत ...
जवाब देंहटाएंहोली की बधाई ..
राधा-रानी, कृष्ण-कन्हैया,
जवाब देंहटाएंहँसी-ठिठोली करते है,
गोरी की चोली भीगी है,
फागुन-फाग, फुहारों में।
बढ़िया रचना फाग पे .मुबारक फाग फाग की रीत ,फाग की प्रीत ,फाग के लठ्ठ फाग . की भंग ,राग और रंग .शुक्रिया ज़नाब की सौद्देश्य टिपण्णी का .
sundar holi geet, खुशियों के सन्देशे लेकर,
जवाब देंहटाएंपवन-बसन्ती आयी है,
दुल्हिन का मन रंगा हुआ है,
सतरंगी बौछारों में।.................................................................. कर सोलह सिंगार धरा ने,
अनुपम छटा बिखेरी है,
खेत, बाग, वन-मन-उपवन,
छाये हैं मस्त बहारों में।
ठण्डाई तो अब बीते युग की बात हो गयी हे।
जवाब देंहटाएं