सागर
में से भर कर निर्मल जल को लाये हैं।
झूम-झूम
कर नाचो-गाओ, बादल आये हैं।।
गरमी
ने लोगों के तन-मन को झुलसाया है,
बहुत
दिनों के बाद मेघ ने दरस दिखाया है,
जग
की प्यास बुझाने को ये छागल लाये हैं।
झूम-झूम
कर नाचो-गाओ, बादल आये हैं।।
नाच
रहे पेड़ों के पत्ते, पुरवैया के झोंको से,
शीतल
पवन दे रही दस्तक, खिड़की और झरोखों से,
खेत-बाग
के व्याकुल-मन हर्षित हो मुस्काये हैं।
झूम-झूम
कर नाचो-गाओ, बादल आये हैं।।
धरती
की भर गयी दरारें, वर्षा के आने से,
खिले
किसानों के चेहरे, नभ पर बादल छाने से,
अब
हरियाली छा जायेगी, ये आस लगाये हैं।
झूम-झूम
कर नाचो-गाओ, बादल आये हैं।।
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शनिवार, 8 जून 2013
"मन हर्षित हो मुस्काये हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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वाह आपने तो बहुत सुन्दर चित्र खींच दिया है मगर अभी यहाँ का मौसम नही बदला है :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बादल हैं, बस बरस पड़ें.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-06-2013) के चर्चा मंच पर लिंक
जवाब देंहटाएंकी गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...दिल्ली की गर्मी में ठंडी फुहार जैसा...
जवाब देंहटाएंबादल आये, संग लाये कितने सुख के दिन।
जवाब देंहटाएंबादल के साथ गर्मी में फुहार ,शीतल पवन ,सुख के दिन,बहुत सुन्दर चित्र उकेर दिया
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंहमारे यहां तो मौसम आपकी कविता जैसा होने लगा है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर मौसमी रचना
जवाब देंहटाएंऐसे ही बादलों का बेसब्री से इंतज़ार है। मनोरम चित्रण लिए सुंदर गीत।
जवाब देंहटाएंबहुर अच्छा दादल का स्वागत गीत!
जवाब देंहटाएंlatest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
बादलों का स्वागत है...बहुत सुंदर लिखा
जवाब देंहटाएंab to baadal aa hee jaayein bass...
जवाब देंहटाएंbahut khub
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