आज प्रस्तुत कर रहा हूँ
अपना एक पुराना देश-भक्ति गीत!
जिसको अपना मधुर स्वर दिया है
मेरी जीवनसंगिनी "श्रीमती अमर भारती" ने
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मेरे प्यारे वतन, जग से न्यारे वतन।
मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।। अपने पावों को रुकने न दूँगा कहीं, मैं तिरंगे को झुकने न दूँगा कहीं, तुझपे कुर्बान कर दूँगा मैं जानो तन। मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।। जन्म पाया यहाँ, अन्न खाया यहाँ, सुर सजाया यहाँ, गीत गाया यहाँ, नेक-नीयत से जल से किया आचमन। मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।। तेरी गोदी में पल कर बड़ा मैं हुआ, तेरी माटी में चल कर खड़ा मैं हुआ, मैं तो इक फूल हूँ तू है मेरा चमन। मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।। |
स्वप्न स्वाधीनता का सजाये हुए,
लाखों बलिदान माता के जाये हुए,
कोटि-कोटि हैं उनको हमारे नमन।
मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।।
जश्ने आजादी आती रहे हर बरस,
कौम खुशियाँ मनाती रहे हर बरस,
देश-दुनिया में हो बस अमन ही अमन।
मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।।
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आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (15-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 87-स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
गुरू जी नमन आप का गीत पढ़कर मन प्रसन्न हो गया...
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत ...जय हिन्द
जवाब देंहटाएंkya baat hai...ati sundar.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गीत..
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 15.08.2013 को http://nirjhar-times.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिवयक्ति...... आपको भी स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको भी स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
मित्र! स्वतंत्रता-दिवस की कोटि वधाइयां ! कविता कब पुराणी होंती है ?
जवाब देंहटाएंनेक-नीयत से जल से किया आचमन। बस आजकल इसी की ज़रूरत है |
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत ......हार्दिक शुभ कामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत सुन्दर. आवाज़ ने तो इसमें चार चाँद लगा दिए
जवाब देंहटाएं♥ वंदे मातरम् ! ♥
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जश्ने आजादी आती रहे हर बरस,
कौम खुशियाँ मनाती रहे हर बरस,
देश-दुनिया में हो बस अमन ही अमन।
मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।।
वाह वाह वाह !
आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी
बहुत बढ़िया लिखा है !
आप हमेशा बढ़िया ही लिखते हैं ।
हां , पहली बार सुना आदरणीया भौजी श्रीमती अमर भारती जी का स्वर ! ...बहुत सुंदर गाया है , हार्दिक बधाई !
गीत के अंतिम दो चरण रिकॉर्डिंग होने के बाद लिखे लगते हैं...
पुनः आप दोनों के प्रति आभार !
...शुभकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार