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गुरुवार, 15 अगस्त 2013
‘‘बन्दी है आजादी अपनी’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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भाव और ओज से भरा गीत यौमे आज़ादी का शवोच्छेदन करता हुआ।
जवाब देंहटाएंआपको मेरी तरफ से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें .............
जवाब देंहटाएंसशक्त रचना..
जवाब देंहटाएंप्रभावी सुन्दर गीत..मेरी नई पोस्ट.'.हिन्दुस्तान हमारा है'..बाल मन की राहें में
जवाब देंहटाएंआज़ादी के अवसर पर यह बहुत सटीक रचना हैं
जवाब देंहटाएंlatest os मैं हूँ भारतवासी।
latest post नेता उवाच !!!
बहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंआज की बुलेटिन स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई ....ब्लॉग बुलेटिन में आपकी पोस्ट (रचना) को भी शामिल किया गया। सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
♥ वंदे मातरम् ! ♥
!!==–..__..-=-._.
!!==–..__..-=-._;
!!==–..@..-=-._;
!!==–..__..-=-._;
!!
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डाकू, चोर, लुटेरे बैठे, संसद और सरकारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
वाह वाह !
सही कहा आदरणीय शास्त्री जी
हमेशा की तरह सुंदर श्रेष्ठ काव्य है
हार्दिक बधाई
...शुभकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार