My Dad Wishes
Samphors Vuth
अनुवादक-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पिता की आकांक्षाएँ
(काव्यानुवाद)
मेरे साथ सदा अच्छा हो,
यही कामना करते हो।
नहीं लड़ूँ मैं कभी किसी से,
यही भावना भरते हो।।
उन्नति के सोपान चढ़ूँ मैं,
नीचे कभी न गिर जाऊँ।
आप यही इच्छा रखते हो,
विजय हमेशा मैं पाऊँ।।
पूज्य पिता जी आप पुत्र की,
देखभाल में लगे हुए।
मेरे लिए हमेशा तत्पर,
जीवनपथ पर डटे हुए।।
मेरा हँसना-गाना सुनकर,
तुम कितना सुख पाते हो।
लेकिन मेरा रुदन देख तुम,
दुखित तात हो जाते हो।।
जीवित रहूँ सदा मैं जग में,
दुआ हमेशा करते हो।
मेरे सुख का मुस्तैदी से,
ध्यान हमेशा धरते हो।।
तुम हो मेरे पूज्य पिता जी,
इस जीवन के दाता हो।
मेरा जीवन तुमसे ही है,
मेरे तुम्हीं विधाता हो।।
|
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सोमवार, 5 अगस्त 2013
"काव्यानुवाद-My Dad Wishes" (अनुवादक-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
आपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 07/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
. बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति ..सादर।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी श्रंखला है, अच्छे अनुवाद से कविता का मूल मिल जाता है।
जवाब देंहटाएंpitaa ji ko naman...
जवाब देंहटाएंmeri nayee post pe aapka swaagat hai :
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.in/2013/08/blog-post.html