हिन्दी का दिन बन गया, जग में आज मखौल।
अंग्रेजी के भक्त अब, बजा रहे हैं ढोल।१।
हिन्दी-डे कहने लगे, अब तो नौकरशाह।
मन में इनके है नहीं, हिन्दी की कुछ
चाह।२।
आन-बान-अभिमान का, मिटा रहे अस्तित्व।
मनमोहन की तान का, बिगड़ा हुआ घनत्व।३।
सूरज जब खाने लगे, खुद ही अपनी धूप।
अँधियारे को चीर कर, कैसे निखरे रूप।४।
स्वर-व्यंजन में रमा है, रूप और
विज्ञान।
अपनी भाषा का करें, आओ हम गुणगान।५।
कभी न थमने पायेगी, सन्तों की आवाज।
मानस को श्रीराम की, पढ़ता रोज समाज।६।
युगों-युगों से चल रहे, खण्ड-काल और
कल्प।
देवनागरी का नहीं, दूजा कोई विकल्प।७।
अपनी हिन्दी में निहित, जीवन का सब
सार।
सन्तों के उपदेश पर, कर लो तनिक विचार।८।
काव्यशास्त्र में खूब है, छन्दों की
भरमार।
सरस-सरल है तरल भी, अलंकार बौछार।९।
गद्य-पद्य से युक्त है, हिन्दी का
साहित्य।
हिन्दी के परिवेश में, भरा हुआ
लालित्य।१०।
उद्गम जिसमें प्रीत का, जीवन का है
सार।
सारे जग को बाँटिए, हिन्दी का उपहार।११।
तुलसी-सूर-कबीर से, हुए न अब तक भक्त।
हिन्दी के उत्थान में, सदा रहे
अनुरक्त।१२।
हिन्दी के प्रताप से, देश हुआ स्वाधीन।
फिर किस कारण से हुई, अपनी भाषा
क्षीण।१३।
अपने प्यारे देश में, समझो तभी सुराज।
अपनी भाषा में करे, जब हम अपने काज।१४।
|
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शनिवार, 14 सितंबर 2013
"चौदह सितम्बर-चौदह दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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bahut gambhir baat hai ji ye !! ham swyam shuddh hindi ka pryog nahi paate hain . !!
जवाब देंहटाएंउद्गम जिसमें प्रीत का, जीवन का है सार।
जवाब देंहटाएंसारे जग को बाँटिए, हिन्दी का उपहार।११।
सभी दोहे एक से बढकर एक..बधाई !
सच्ची बात काही आपने दोहो के माध्यम से | सुंदर |
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सटीक दोहे !!
जवाब देंहटाएंनमस्कार आपकी यह रचना कल रविवार (15-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंहै जिसने हमको जन्म दिया,हम आज उसे क्या कहते है ,
जवाब देंहटाएंक्या यही हमारा राष्र्ट वाद ,जिसका पथ दर्शन करते है
हे राष्ट्र स्वामिनी निराश्रिता,परिभाषा इसकी मत बदलो
हिन्दी है भारत माँ की भाषा ,हिंदी को हिंदी रहने दो .....
RECENT POST : बिखरे स्वर.
सटीक और सुंदर !
जवाब देंहटाएंसटीक और बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंघाव करे गंभीर...सारगर्भित दोहे...
जवाब देंहटाएंउद्गम जिसमें प्रीत का, जीवन का है सार।
जवाब देंहटाएंसारे जग को बाँटिए, हिन्दी का उपहार
....सुंदर-सटीक अभिव्यक्ति.....
सूरज जब खाने लगे, खुद ही अपनी धूप।
जवाब देंहटाएंअँधियारे को चीर कर, कैसे निखरे रूप।४।
गंभीर चिंतन ....बेहतरीन दोहे आदरणीय शास्त्री जी
गुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंखुबसूरत दोहावली ,चेतावनी और प्रेरणा देती हुई
जवाब देंहटाएंसूरज जब खाने लगे, खुद ही अपनी धूप।
अँधियारे को चीर कर, कैसे निखरे रूप।४।
स्वर-व्यंजन में रमा है, रूप और विज्ञान।
अपनी भाषा का करें, आओ हम गुणगान।५।
अपने प्यारे देश में, समझो तभी सुराज।
अपनी भाषा में करे, जब हम अपने काज।१४।
निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ,
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल।
ॐ शान्ति
इतने शहरी हो गए लोगों के ज़ज्बात ,
हिंदी भी करने लगी अंग्रेजी में बात।
एक गजल कुछ ऐसी हो बिलकुल तेरे (हिंदी )जैसी हो ,
मेरा चाहे कुछ भी हो तेरी कभी न हेटी हो।
हिंदी की न हेटी हो।
तेरी ,मेरी कभी न हो हिंदी तेरिमेरी हो।
इसीलिए भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने कहा -
जवाब देंहटाएंनिज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ,
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल।
पहर वसन अंगरेजिया ,हिंदी करे विलाप ,
जवाब देंहटाएंअब अंग्रेजी सिमरनी जपिए प्रभुजी आप।
पहर वसन अंगरेजिया उछले हिंदी गात ,
नांच बलिए नांच ,देदे सबकू मात।
अब अंग्रेजी हो गया हिंदी का सब गात ,
अपनी हद कू भूलता देखो मानुस जात।
हिन्दी हित कार्यरत समस्त जनों को शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजंगल की डेमोक्रेसी
ब्लॉग प्रसारण लिंक 3 - चौदह सितम्बर पर चौदह दोहे मेरी हिंदी [ डॉ. रूपचंद शास्त्री 'मयंक']
जवाब देंहटाएंआदरणीय वाह वाह हिंदी दिवस पर क्या उत्तम दोहावली प्रस्तुत की है आपने हिंदी का क्या महत्व है कितनी सरल है सुन्दर है मीठी है के साथ साथ हिंदी के साथ साथ हो रहे दुर्व्यवहार को भी आपने सुन्दरता से परिभाषित किया है सुन्दर शिक्षाप्रद दोहावली हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.
bahut hi sundar dohawali ... hindi ke itihaas or vartaam me uske hrash ko paribhasit karti huyi .. sadar naman :)
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस पर सुंदर दोहे।
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