रणकौशल में निपुण हैं, सैनिक-सेनाधीश।
झुकने देंगे वो नहीं, भारत माँ का शीश।।
रक्षा अपने देश की, करते वीर जवान।
वीर सैनिकों पर हमें, होता है अभिमान।।
सीमाओँ पर दे रहे, जो अपना बलिदान।
रक्षा में संलग्न हैं, हरदम वीर जवान।।
गूँज रहे हैं व्योम में, वीरों के सन्देश।
जाति-धर्म से है बड़ा, अपना भारत देश।।
उपजाता जो अन्न को, वह है कृषक महान।
नमन जवानों को करे, पूरा हिन्दुस्तान।।
अभिनन्दन-वन्दन करें, आओ मन से आज।
आज किसान-जवान से, जीवित सकल समाज।।
जिनके बल पर सो रहे, हम सब चादर तान।
देवदूत वो धन्य हैं, भारत माँ की शान।।
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शनिवार, 11 अप्रैल 2020
दोहे "सैनिक-सेनाधीश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१२-०४-२०२०) को शब्द-सृजन-१६'सैनिक' (चर्चा अंक-३६६९) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
जिनके बल पर सो रहे, हम सब चादर तान।
जवाब देंहटाएंदेवदूत वो धन्य हैं, भारत माँ की शान।।
सत सत नमन इन देवदूतों को ,सुंदर सृजन सर ,सादर नमस्कार
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअति उत्तम दोहावली आ0
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर आदरणीय सैनिकों के सम्मान में उत्कृष्ट दोहे ।
जवाब देंहटाएंनमन वीर सैनिकों को।