tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post1253514279821558753..comments2024-03-25T20:26:21.589+05:30Comments on उच्चारण: गीत "जालजगत की शाला है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-1116843354953534412020-02-09T16:18:36.827+05:302020-02-09T16:18:36.827+05:30
अमल-धवल ये लोक अनोखा, लगता भोला-भाला है
आभासी दुन...<br />अमल-धवल ये लोक अनोखा, लगता भोला-भाला है<br />आभासी दुनिया में होता, मन कितना मतवाला है<br /><br />बहुत खूब..... सर ,सादर नमन Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-29115030593222988672020-02-08T12:17:03.088+05:302020-02-08T12:17:03.088+05:30जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल ...जी नमस्ते,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-02-2020) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "हिन्दी भाषा और अशुद्धिकरण की समस्या" (चर्चा अंक 3606) </a> पर भी होगी।<br /><br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br /><br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br /><br />आप भी सादर आमंत्रित है <br />Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.com