tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post1933577980667593974..comments2024-03-16T14:48:51.587+05:30Comments on उच्चारण: "दो मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-24401594879082225582013-02-20T11:36:57.869+05:302013-02-20T11:36:57.869+05:30बहुत सुन्दर रचना..बहुत सुन्दर रचना..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-83415549039348803502013-02-18T16:20:30.156+05:302013-02-18T16:20:30.156+05:30क्या बात कही है शास्त्री जी.... बेहद खूबसूरत !क्या बात कही है शास्त्री जी.... बेहद खूबसूरत !shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-42001211733213590702013-02-18T03:26:42.393+05:302013-02-18T03:26:42.393+05:30वाह,बहुत ख़ूब !वाह,बहुत ख़ूब !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-35570459360697492812013-02-17T22:38:14.302+05:302013-02-17T22:38:14.302+05:30प्यारी बात..प्यारी बात..रश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-83561297293210212002013-02-17T18:01:32.267+05:302013-02-17T18:01:32.267+05:30दो मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र सास्त्री 'मयंक&#...दो मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र सास्त्री 'मयंक')<br />शहनाइयों के शोर में, भी घोर मातम है।<br />हमारी अंजुमन में आज तनहाई का आलम है।<br />हबीबों की मजारों पर कोई सज़दा करेगा क्यों?<br />रकीबों की कतारें है जहाँ खुशियाँ बहुत कम हैं।।<br /><br />गमजदा हो कर जुल्म को खूब सहते हैं।<br />थपेड़े सहन करके भी सदा खामोश रहते हैं।<br />नदी के दो किनारों को कभी मिलना नहीं होता।<br />मगर वो चूमकर मौजों को दिल की बात कहते हैं।।<br /><br />सार्थक मुक्तक .<br /><br />.सार्थक मुक्तक .अच्छा रूपक है नदी के दो किनारों का .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-57332740043527300992013-02-17T15:11:51.237+05:302013-02-17T15:11:51.237+05:30वाह !वाह !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-27595035306105645832013-02-17T12:11:01.448+05:302013-02-17T12:11:01.448+05:30शहनाइयों के शोर में, भी घोर मातम है।
हमारी अंजुमन ...शहनाइयों के शोर में, भी घोर मातम है।<br />हमारी अंजुमन में आज तनहाई का आलम है।<br />हबीबों की मजारों पर कोई सज़दा करेगा क्यों?<br />रकीबों की कतारें है जहाँ खुशियाँ बहुत कम हैं।।<br />क्या खूब कहा हैं अपने बहुत सुन्दर <br />दिनेश पारीक <br />मेरी नई रचना <a href="http://dineshpareek19.blogspot.in/" rel="nofollow">फरियाद</a><br /><a href="http://dineshpareek19.blogspot.in/" rel="nofollow">एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ</a>Dinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-35188639922014544282013-02-17T12:09:53.332+05:302013-02-17T12:09:53.332+05:30बहुत सुन्दर मुक्तक
latest postअनुभूति : प्रेम,विरह... बहुत सुन्दर मुक्तक<br />latest post<a href="http://vichar-anubhuti.blogspot.in/2013/02/blog-post_16.html#links" rel="nofollow">अनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा</a><br />atest post<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/02/blog-post_12.html#links" rel="nofollow"> हे माँ वीणा वादिनी शारदे !</a><br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-22644351051919666012013-02-17T01:52:41.238+05:302013-02-17T01:52:41.238+05:30सुन्दर मुक्तक "शहनाइयों के शोर में, भी घोर मा...सुन्दर मुक्तक "शहनाइयों के शोर में, भी घोर मातम है।<br />हमारी अंजुमन में आज तनहाई का आलम है।<br />हबीबों की मजारों पर कोई सज़दा करेगा क्यों?<br />रकीबों की कतारें है जहाँ खुशियाँ बहुत कम हैं।।....<br /><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14500351687854454625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-56895952952528734902013-02-16T16:26:14.525+05:302013-02-16T16:26:14.525+05:30गमजदा हो कर जुल्म को खूब सहते हैं।
थपेड़े सहन करके...गमजदा हो कर जुल्म को खूब सहते हैं।<br />थपेड़े सहन करके भी सदा खामोश रहते हैं।<br />यही तो सबसे बड़ी कमी है। खैर, उत्कृष्ट रचना ! पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-49457109465329365512013-02-16T13:42:32.354+05:302013-02-16T13:42:32.354+05:30बढिया बहुत सुंदरबढिया बहुत सुंदरमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-29487692107278617892013-02-16T12:58:38.504+05:302013-02-16T12:58:38.504+05:30बढ़िया है मुक्तक-
आभार गुरु जी -
देख किनारों को लग...बढ़िया है मुक्तक-<br />आभार गुरु जी -<br /><br />देख किनारों को लगे, मिलना है बेकार |<br />जल जाएगा उड़ सकल, जो जाए उस पार |<br />जो जाए उस पार, रूप का सतत आचमन |<br />यह मुक्तक नवनीत, बाँचते दुर्जन सज्जन |<br />ऐसे ही है ठीक, दूर ही रहना प्यारों |<br />बना रहे अस्तित्त्व, करो उपकार किनारों ||<br />रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-70873093786982160322013-02-16T12:56:53.617+05:302013-02-16T12:56:53.617+05:30बहुत सुन्दर!बहुत सुन्दर!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07070644113445916071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-55400372617124004502013-02-16T12:42:28.028+05:302013-02-16T12:42:28.028+05:30वाह...वाह बहुत सुन्दर
वाह...वाह बहुत सुन्दर<br />अमर भारती शास्त्रीhttps://www.blogger.com/profile/10791859282057681154noreply@blogger.com