tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post2193708903617770867..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: “.. …चलन बढ़ने लगा है!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-71365750838625267302010-11-03T07:03:28.036+05:302010-11-03T07:03:28.036+05:30नये इस आदमी में, आदमीयत गुम हुई अब तो,
नियामत में ...नये इस आदमी में, आदमीयत गुम हुई अब तो,<br />नियामत में निज़ामत का, चलन बढ़ने लगा है।<br /><br />----<br /><br />bahut umda rachna.<br /><br />aabhar .<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-78893762927582209162010-11-03T02:32:16.788+05:302010-11-03T02:32:16.788+05:30वाह ! वाह बहुत उम्दा पोस्ट ...आभारवाह ! वाह बहुत उम्दा पोस्ट ...आभाररानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-79882857229348955602010-11-02T23:30:35.812+05:302010-11-02T23:30:35.812+05:30नये इस आदमी में, आदमीयत गुम हुई अब तो,
नियामत में...नये इस आदमी में, आदमीयत गुम हुई अब तो, <br />नियामत में निज़ामत का, चलन बढ़ने लगा है। <br /><br />बहुत सुन्दर..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-69627762011900663642010-11-02T22:38:35.014+05:302010-11-02T22:38:35.014+05:30बहुत उम्दा रचना.
रामरामबहुत उम्दा रचना.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-76793773964866600172010-11-02T19:25:13.290+05:302010-11-02T19:25:13.290+05:30भाषा पर बहुत अच्छी पकड़ है आपकीभाषा पर बहुत अच्छी पकड़ है आपकीभारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-65436029375604424292010-11-02T15:37:58.318+05:302010-11-02T15:37:58.318+05:30बचा अब कुछ नही खालिस, धरम-ईमान बिकता है,
लियाकत मे...बचा अब कुछ नही खालिस, धरम-ईमान बिकता है,<br />लियाकत में मिलावट का, चलन बढ़ने लगा है। <br />शास्त्री जीबहुत खुब लिखा आप ने आज पर, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-87771638576654665332010-11-02T14:11:59.362+05:302010-11-02T14:11:59.362+05:30बहुत सुन्दर।बहुत सुन्दर।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-70000931467290483992010-11-02T11:17:19.104+05:302010-11-02T11:17:19.104+05:30पिलापी छा रही मुखपर, नहीं यौवन झलकता है,
तरावट ...पिलापी छा रही मुखपर, नहीं यौवन झलकता है, <br />तरावट में थकावट का, चलन बढ़ने लगा है।<br /><br />नये इस आदमी में, आदमीयत गुम हुई अब तो,<br />नियामत में निज़ामत का, चलन बढ़ने लगा है।<br /><br />भरे हैं धन तिजोरी में, मगर सन्तोष गायब है,<br />सदाकत में शिकायत का, चलन बढ़ने लगा है। <br /><br />आजकल बडी तल्ख सच्चाइयों से रु-ब-रु करवा रहे हैं…………सुन्दर अभिव्यक्ति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-15021266929951543212010-11-02T11:11:41.486+05:302010-11-02T11:11:41.486+05:30हमारे देखे तो इतनी भी नहीं बदली दुनिया,
बस शायरी म...हमारे देखे तो इतनी भी नहीं बदली दुनिया,<br />बस शायरी में सुगबुगाहट का चलन बदने लगा है.<br /><br />कविताई तो आपकी जोरदार है, पर हमने थोड़ी उम्मीदों की भी दरकार है ...<br /><br />लिखते रहिये ....Majaalhttps://www.blogger.com/profile/08748183678189221145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-33115133184129328722010-11-02T11:08:50.103+05:302010-11-02T11:08:50.103+05:30बढ़ा दल-दल, नये नित बन रहे हैं दल,
सियासत में बगा...बढ़ा दल-दल, नये नित बन रहे हैं दल, <br />सियासत में बगावत का, चलन बढ़ने लगा है।<br /><br />नये युग का विधाता बन गया है आज कम्प्यूटर,<br />लिखावट में गिरावट का, चलन बढ़ने लगा है।<br /><br />नये इस आदमी में, आदमीयत गुम हुई अब तो,<br />नियामत में निज़ामत का, चलन बढ़ने लगा है।<br /><br />भरे हैं धन तिजोरी में, मगर सन्तोष गायब है,<br />सदाकत में शिकायत का, चलन बढ़ने लगा है।<br />सभी शेर बहुत सुन्दर और आज के स्थिती को बयाँ कर रहे हैं। बधाई। दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-38153352435855142162010-11-02T11:08:07.279+05:302010-11-02T11:08:07.279+05:30नये युग का विधाता बन गया है आज कम्प्यूटर,
लिखावट ...नये युग का विधाता बन गया है आज कम्प्यूटर, <br />लिखावट में गिरावट का, चलन बढ़ने लगा है। <br />अरे वाह! शास्त्री जी! क्या शानदार ग़ज़ल लिखी है आपने। <br />यह ग़ज़ल ...<br />कभी सादगी के अंदाज में ताना मारती है....... <br />तो कभी अनुरोध और विनती करती है ....<br />तो कभी इसमें सांत्वना के स्वर हैं<br />कुल मिलाकर कहूंगा कि ...<br />आप एक समर्थ सर्जक हैं!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-42129703756580527822010-11-02T11:05:46.002+05:302010-11-02T11:05:46.002+05:30बज़ से प्राप्त टिप्पणी!
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Anand G.Sharma आनंद जी....बज़ से प्राप्त टिप्पणी!<br />--<br />Anand G.Sharma आनंद जी.शर्मा - <br /><b>आदरणीय शाश्त्री जी, <br />बहुत ही सामयिक - सुन्दर अभिव्यक्ति | <br />धन्यवाद शब्द बहुत छोटा है आपके विचारों की श्रेष्ट के सामने | <br />आपका अपना, <br />आनन्द गोपाल शर्मा </b>11:00 amडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com