tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post2202549408404310185..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: दोहे "कालातीत बसन्त" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-88679366840906420502019-10-15T15:59:45.136+05:302019-10-15T15:59:45.136+05:30 थकी हुई है लेखनी, सूखे कलम-दवात।
वृद्धावस्था में ... थकी हुई है लेखनी, सूखे कलम-दवात।<br />वृद्धावस्था में नहीं, यौवन जैसी बात।।<br />आपकी बात सच है लेकिन यह भी सच है कि वृद्धावस्था अनुभव से भरे घर होते हैं <br />बहुत अच्छी प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-49790637472393158712019-10-15T15:56:42.496+05:302019-10-15T15:56:42.496+05:30लाजवाब सृजन है ,कुछ नैराश्य के भाव परिलक्षित हो रह...लाजवाब सृजन है ,कुछ नैराश्य के भाव परिलक्षित हो रहे हैं, इतना ही कहना चाहूंगी आदरणीय...<br />तरूणाई से अधिक जीवन के अनुभव तरूण हुआ करते हैं ।<br />नमन।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-29409729204025450942019-10-15T06:01:09.562+05:302019-10-15T06:01:09.562+05:30ब्रह्मांड का कोई अंत नहीं है, भले ही कलम थका हुआ ह...ब्रह्मांड का कोई अंत नहीं है, भले ही कलम थका हुआ हो, अनुभव हमेशा एक गिलहरी की तरह सक्रिय होता है, दीपक तब भी जब वह अपने अंतिम कुछ सेकंड में होता है, दूसरे दीपक या तेल की खोज के लिए आवश्यक होता है इसके पुन: प्रज्वलन के लिए, ईमानदार कविता मयंक दानीलांशhttps://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-76418371496465146912019-10-14T13:55:48.105+05:302019-10-14T13:55:48.105+05:30इतनी निराशा क्यों ?इतनी निराशा क्यों ?गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.com