tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post2317922968516114877..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: "हमें फुर्सत नहीं मिलती" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-72551127555359202232012-08-26T14:53:18.306+05:302012-08-26T14:53:18.306+05:30बहुत प्रेरणास्पद सारगर्भित रचना तस्वीर को परिभाषित...बहुत प्रेरणास्पद सारगर्भित रचना तस्वीर को परिभाषित करती हुई Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-63551984329711543492012-08-26T14:47:56.651+05:302012-08-26T14:47:56.651+05:30badhiyabadhiyatravel ufohttps://www.blogger.com/profile/15497528924349586702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-40005489833526780872012-08-26T10:43:15.926+05:302012-08-26T10:43:15.926+05:30बहुत सुंदर !
अपनी अपनी फुर्सतों
में मसरूफ इतना
...बहुत सुंदर !<br /><br />अपनी अपनी फुर्सतों <br />में मसरूफ इतना <br />कि अब आदमी को <br />अपने लिये भी <br />फुरसत नहीं मिलती <br />आप ने लिखे डाली <br />इन की किस्मत<br />उसे इसको देखने की भी<br />फुरसत नहीं मिलती !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-36983069581535268512012-08-26T09:48:46.813+05:302012-08-26T09:48:46.813+05:30
सुबह उठकर कबाड़ा बीनते हैं, दुधमुहे बच्चे,
उन्हें...<br />सुबह उठकर कबाड़ा बीनते हैं, दुधमुहे बच्चे,<br />उन्हें पढ़ने-लिखाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।<br />इस पर भी बहस करवा देंगे ये संसद में .....बढ़िया पोस्ट .कृपया यहाँ भी पधारें -<br />शनिवार, 25 अगस्त 2012<br />काइरोप्रेक्टिक में भी है समाधान साइटिका का ,दर्दे -ए -टांग का<br />काhttp://veerubhai1947.blogspot.com/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-38288476858683518792012-08-26T00:38:21.001+05:302012-08-26T00:38:21.001+05:30अत्यंत सार्थक एवं संदेशात्मक रचना, दुआ करता हूँ की...अत्यंत सार्थक एवं संदेशात्मक रचना, दुआ करता हूँ की यह अपील देश के कोने तक पहुचे<br />Devhttps://www.blogger.com/profile/12753851385568919086noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-53788266673534449792012-08-25T21:38:00.784+05:302012-08-25T21:38:00.784+05:30बहुत सारगर्भित रचना. हमें न अपनों के लिए फुर्सत है...बहुत सारगर्भित रचना. हमें न अपनों के लिए फुर्सत है न देश समाज के लिए...<br />सुमन खिलते हुए हमने, मसल कर रख दिये सारे,<br />मिटे रिश्ते बनाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।<br />विचारपूर्ण रचना, बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-65626881229565996812012-08-25T20:28:49.937+05:302012-08-25T20:28:49.937+05:30शास्त्री सर! गंभीर सच है ये और दुखदायी भी !
बहुत ...शास्त्री सर! गंभीर सच है ये और दुखदायी भी !<br /><br />बहुत गंभीर मसला है...दर्द भी दिल में होता है..<br />उंगली सब उठाते हैं, क़दम न कोई उठता है....<br />बचाएँ मासूम कलियाँ जो ...समय से पहले मुरझाती..<br />न जाने क्यों ज़माने में....हमें फ़ुर्सत नहीं मिलती... :(<br />~सादर!!!Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-12702572109061981612012-08-25T18:30:50.733+05:302012-08-25T18:30:50.733+05:30वतन के नगमे गाने की..,
शाख्समर उगाने की..,
समन-ए-...वतन के नगमे गाने की..,<br />शाख्समर उगाने की..,<br /><br />समन-ए-गुल शुआ हमने, मसल्सल मसल दिया हमने..,<br />कोई और गुल खिलाने की..,<br /><br />मुहब्बत में है गर अदद दम वफादार हो आखिर दम..,<br />मगर ज़िगर लगाने की हमें फुर्सत नहीं मिलती..... <br /><br />Saman = (fa.)chameliNeetu Singhalhttps://www.blogger.com/profile/14843330374912315760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-35430598183979418592012-08-25T16:41:12.732+05:302012-08-25T16:41:12.732+05:30अच्छी रचना
बहुत बढियाअच्छी रचना<br />बहुत बढियामहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-76427369007247108152012-08-25T15:51:40.306+05:302012-08-25T15:51:40.306+05:30आपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवा...आपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २८/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी मंगल वार को चर्चा मंच पर जरूर आइयेगा |धन्यवाद Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-28779644994660416482012-08-25T14:00:56.029+05:302012-08-25T14:00:56.029+05:30काश फुर्सत मिले, सुन्दर कविता..काश फुर्सत मिले, सुन्दर कविता..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-47521918526721796942012-08-25T13:44:05.860+05:302012-08-25T13:44:05.860+05:30वाह बहुत खूब
हम को अपनी ही सोच बदलने की फुर्सत न...वाह बहुत खूब <br /><br />हम को अपनी ही सोच बदलने की फुर्सत नहीं मिलती ...वाह करना ...दाद देना कितना आसन हैं ना ...उतना ही मुश्किल हैं खुद को बदलना ..Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-11263448425048379962012-08-25T13:08:32.592+05:302012-08-25T13:08:32.592+05:30सही सन्देश देती अच्छी कविता , अपने से ही किसी को ...सही सन्देश देती अच्छी कविता , अपने से ही किसी को फुर्सत नहीं जो गैर की सोचे !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-31548140395044222552012-08-25T12:54:27.165+05:302012-08-25T12:54:27.165+05:30रैपर टाफ़ी का दिखा, दीखे छिलके सेब |
भारत सुन्दर सा...रैपर टाफ़ी का दिखा, दीखे छिलके सेब |<br />भारत सुन्दर सा लिखा, कचड़े में न ऐब |<br />कचड़े में न ऐब, कतरने टुकड़े बीने |<br />पड़ा कबाड़ा ढेर, कबाड़ी बचपन छीने |<br />कड़े नियम कानून, लिखाते संसद पेपर |<br />खाँय करिंदे माल, बटोरें बच्चे रैपर || रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-51766850165898779192012-08-25T10:43:12.912+05:302012-08-25T10:43:12.912+05:30बनाओ महल तुम बेशक, उजाड़ो झोंपड़ी को मत,
रोते को ह...बनाओ महल तुम बेशक, उजाड़ो झोंपड़ी को मत,<br />रोते को हँसाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।<br /><br />सुबह उठकर कबाड़ा बीनते हैं, दुधमुहे बच्चे,<br />उन्हें पढ़ने-लिखाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।<br /><br />्सच्चाई को प्रस्तुत करती उम्दा रचनाvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-86362610462881622792012-08-25T09:57:26.336+05:302012-08-25T09:57:26.336+05:30बहुत उम्दा रचना। सच का एक आइना प्रस्तुत किया है आप...बहुत उम्दा रचना। सच का एक आइना प्रस्तुत किया है आपने।<br />प्रतीक संचेतीPrateek Sanchetihttps://www.blogger.com/profile/08236964148793075183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-67842975190246833912012-08-25T09:52:25.694+05:302012-08-25T09:52:25.694+05:30प्रेरणास्पद रचना...प्रेरणास्पद रचना...डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'https://www.blogger.com/profile/04502207807795556896noreply@blogger.com