tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post2659507775192729448..comments2024-03-25T20:26:21.589+05:30Comments on उच्चारण: दोहे "छिन जाते हैं ताज" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-40190583868169215322018-10-05T06:21:23.573+05:302018-10-05T06:21:23.573+05:30असली गाँधी ने किए, खूब कमाल-धमाल।
अब का गाँघी देश ...असली गाँधी ने किए, खूब कमाल-धमाल।<br />अब का गाँघी देश में, करता खूब बबाल।।<br /><br />तब के गाँधी ने किया, देश दासता मुक्त।<br />अब का गाँधी है नहीं, शासन के उपयुक्त।।<br /><br />तब के गाँधी को मिला, बापू का सम्मान।<br />अब गाँधी पप्पू बना, सहता है अपमान।।<br /><br />बनकर उभरा देश में, जब भी तानाशाह।<br />किया प्रजा के तन्त्र ने, उसको सदा तबाह।।<br /><br />प्रजा अगर अनुकूल हो, रहे सलामत राज।<br />सारे शासक पहनते, काँटों के ही ताज।।<br /><br />नौकरशाहों पर यहाँ, कभी न करना नाज।<br />एक जरा सी चूक से, छिन जाते हैं ताज।।<br /><br />मनमानी से शासकों, अब आ जाओ बाज।<br />लील लिए महँगाई ने, बड़े-बड़ों के राज।।<br /><br />कहते जिस को श्री मान अब का गांधी आप ,<br /><br />नेहरू का अवशेष है मान लीजिये आप।<br /><br />करमचंद था महात्मा ,छद्म है ये अवशेष ,<br />माँ बेटों ने छल लिया सारा अभि -निवेश। <br />भोले को भी हांकता बम बम ये अवशेष <br />समझे बैठा है अभी खुद को ये अखि -लेश। <br /><br />शास्त्री जी के दोहे नै परवाज़ भर रहें हैं ,सतसैया के पार ,इनका रूप अपार। <br />satshariakaljio.blogspot.com<br />veerubhai1947.blogspot.com<br />veeruji005.blogspot.com<br />veerujialami.blogspot.comAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04532342283593466150noreply@blogger.com