tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post3479522824955404567..comments2024-03-16T14:48:51.587+05:30Comments on उच्चारण: "गन्दी सियासत का दिन, 6-दिसम्बर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-52375195220872004202009-12-08T14:07:35.697+05:302009-12-08T14:07:35.697+05:30aadarniya shashtri ji... meri baat galat lagi, ksh...aadarniya shashtri ji... meri baat galat lagi, kshama chahta hun.. itihaas ke baare mein apne khayalat main mahfooz bhai ke blog par bahut pahle bata chuka hun.. yaad nahi kaun si post hai warna link de deta.. khair, jab bhi itihaas ki baat hoti hai to mujhe "MAHABHARAT KI EK SAANJH" mein duryodhan (i mean SUYODHAN) ka kaha yaad aata hai, "HAAN HAAN, KYON NAHI. ITIHAAS TO TUM APNI DEKH REKH MEIN LIKHWAOGE....." agar itihaas sahi se likha gaya hota to ...... jaane dijiye... <br />agar koi baat buri lagi to dubara maafi mangta hun... chhoti umr samajh kar maaf kar dijiyega...Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-77899873609105234052009-12-07T15:27:16.598+05:302009-12-07T15:27:16.598+05:30मेरी बात बुरी लगे हो शास्त्री जी तो क्षमा चाहता ह...मेरी बात बुरी लगे हो शास्त्री जी तो क्षमा चाहता हूँ ! वैसे मैंने यह देखा है जहाँ तक राजनैतिक पार्टियों का सवाल है क्या बीजेपी क्या कौंग्रेस और क्या बाम सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे है उनका काम है लोगो को मूर्ख बनाना ! लेकिन जहां तक इतिहास की बात है तो बौद्धिक जगत के आप एक सीनियर सदस्य हो और आप भी इस बात को बहली भांति जानते है कि जहाँ तक हमारे देश के इतिहास का प्रश्न है, इसे हर किसी ने अपने ढंग से पेश किया और तोड़ा-मरोड़ा ! यहाँ जिस बात को सुर्खिया बहुत मिली वह इतिहास बन गया और जिसमे इतिहास बनने की काबिलियत थी उसे सुर्खियाँ न मिलने की वजह से कहीं दब के रह गया ! मेरा इस बात पर जोर देने का आशय भी यही है कि हम लोग इसे बहुत ज्यादा टूल देकर इसे जान्बूजकर इतिहास में शामिल कर रहे है, जबकि यह इतिहास बनने लायक ऐसी कोई चीज नहीं ! जारो सोचिये उन कितने मूर्खो को आज इस देश का हिन्दू याद कर रहा है जिसने इस राम-नाम जाप करने वाले पोलितिसियन के चक्कर में आकर बेबजाह अपनी जान गवाई ?पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-71239604676763497002009-12-07T09:29:14.624+05:302009-12-07T09:29:14.624+05:30यहाँ पर मैं अम्बरीश अम्बुज जी की बात से पूर्ण सहमत...यहाँ पर मैं अम्बरीश अम्बुज जी की बात से पूर्ण सहमत हूँ ! <br /><br />पता नहीं कितने ढाँचे गिरे, उसी को इतना महत्व क्यों और बात यह नहीं थे की एक मस्जिद टूटी बात यह थी की दोनों और के लोग इस बात के लिए बराबर के जिम्मेदार थे की इसे नाक का प्रश्न बनाया !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-82478765184539740142009-12-07T06:34:54.170+05:302009-12-07T06:34:54.170+05:30अम्बरीश अम्बुज जी!
इतिहास नाम का विषय तो समाप्त कर...अम्बरीश अम्बुज जी!<br />इतिहास नाम का विषय तो समाप्त करवाइए ना!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-90458894585039585962009-12-07T01:17:18.303+05:302009-12-07T01:17:18.303+05:30सुंदर कविता । प्रश्न सिर्फ एक ढांचा गिराने का नही...सुंदर कविता । प्रश्न सिर्फ एक ढांचा गिराने का नहीं था । बल्कि यह देश की शांति और सदभाव से जुडा मुददा था । सबको पता है कि इसके बाद कितना वैमनस्य फैला और निर्दोष लोग मारे गए ।अर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-76511590445916838852009-12-06T23:38:36.652+05:302009-12-06T23:38:36.652+05:30माफी रिक्वेस्ट करते हुए पूछ रहा हूँ कि क्या हम उस ...माफी रिक्वेस्ट करते हुए पूछ रहा हूँ कि क्या हम उस दिन को याद करके या उस हादसे के बहाने आज समाज में गंदगी नही फैला रहे? क्या उस दिन पर आज भी राजनीति नही हो रही? और अंत में क्या उस दिन जो भी हुआ उसकी जाँच पड़ताल से आज देश के हालात को कोई फ़र्क पड़ता है? इन सब प्रश्नो के उत्तर हम जिस दिन ईमानदारी से दे पायें, शायद भारत के लिए उस दिन कुछ कर पाएँगे...<br />जय हिंद...Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-57022463122123691502009-12-06T20:19:57.859+05:302009-12-06T20:19:57.859+05:30प्रिय मयंक सर, आपका ब्लॉग नुक्कड़ और उच्चारण बहुत ह...प्रिय मयंक सर, आपका ब्लॉग नुक्कड़ और उच्चारण बहुत ही प्रेरक ब्लॉग है. आपने आज की राजनीती को निःसंदेह सही उच्चारित किया है. आशा है आपका नुक्कड़ नेताओं के नाटक का पटाक्षेप करेगा. <br />आपके सुन्दर टिप्पनिओं के लिए धन्यवाद्! <br /> आपका <br /> दीपक (होशोहवास ब्लॉग पर)DEEPAKhttps://www.blogger.com/profile/15530055966543678388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-19637611897575646952009-12-06T19:22:15.899+05:302009-12-06T19:22:15.899+05:30एक से बढ़कर एक तस्वीर और साथ में बेहद ख़ूबसूरत रचना...एक से बढ़कर एक तस्वीर और साथ में बेहद ख़ूबसूरत रचना! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-25985320485413085022009-12-06T17:09:42.477+05:302009-12-06T17:09:42.477+05:30एक से बढ़कर एक तस्वीर और साथ में बेहद ख़ूबसूरत रचन...एक से बढ़कर एक तस्वीर और साथ में बेहद ख़ूबसूरत रचना! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-7286757038787848932009-12-06T16:41:38.789+05:302009-12-06T16:41:38.789+05:30राम का घर रहमान का दर बना दिया गया था। सही बात।
ख...राम का घर रहमान का दर बना दिया गया था। सही बात। <br />खुदा को तो इंसान ही नहीं बख्शते, मवाली क्यों बख्शें?गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-31766378235470616812009-12-06T16:16:33.238+05:302009-12-06T16:16:33.238+05:30गिराया एक ढाँचा था , मिटे ढाँचे हजारों थे,
मिटाया ...गिराया एक ढाँचा था , मिटे ढाँचे हजारों थे,<br />मिटाया एक साँचा था, लुटे साँचे हजारों थे,<br />क्या गहराई लिये है ये पंक्तियाँ. गिराये हुए ढाचे को तो शायद फिर बना भी लें पर उसके साथ गिरे ढाचे का क्या करें ---M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-17581004762424794182009-12-06T16:07:02.124+05:302009-12-06T16:07:02.124+05:30हमारी प्यार की डाली, झटक कर तोड़ डाली है,
सलीकों स...हमारी प्यार की डाली, झटक कर तोड़ डाली है,<br />सलीकों से भरी थाली, पटक कर फोड़ डाली है, <br /><br />सुंदर पंक्तियों के साथ सुंदर कविता....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-41733292967848271542009-12-06T16:06:40.743+05:302009-12-06T16:06:40.743+05:30गिराया एक ढाँचा था , मिटे ढाँचे हजारों थे,
मिटाया ...गिराया एक ढाँचा था , मिटे ढाँचे हजारों थे,<br />मिटाया एक साँचा था, लुटे साँचे हजारों थे,<br /><br />bahut hi dardnak aur bhavah sthiti thi aur shayad aaj bhi wo hi hai.<br /><br />mara ek shakhs tha<br />huye barbaad <br />na jaane kitne the<br />us ek chehre ko dhoondhti <br />nigaahein aaj <br />na jaane kitni hain<br />gam ka wo sookha <br />thahra aaj bhi <br />har ik nigaah <br /> mein hai<br />siyasat ki zameen <br />par bikhri<br />laashein hajaron hainvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-75049143907807404702009-12-06T15:18:05.634+05:302009-12-06T15:18:05.634+05:30सुमन हलकान करने को, अमानत में खयानत थी,niceसुमन हलकान करने को, अमानत में खयानत थी,niceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-60015660912588687122009-12-06T15:14:27.505+05:302009-12-06T15:14:27.505+05:30काश कोई समझ पाता लोगो का दर्द? मगर क्या करें ? हर ...काश कोई समझ पाता लोगो का दर्द? मगर क्या करें ? हर किसी ने तो अपनी रोटियाँ सेंकी हैं <br />लोग टूट जाते हैं इक घर बनाने मैं <br />तुम तरस नही खाते बस्तिया जलाने मैंUnknownhttps://www.blogger.com/profile/11500967706252542844noreply@blogger.com