tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post4457777603575019552..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: गीत "दबा सुरीला कोकिल का सुर, अब कागा की काँव में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-22832133845619386732021-12-23T13:48:33.409+05:302021-12-23T13:48:33.409+05:30सच अब तो गांव में कांक्रीट बनते जा रहे हैं
बहुत अच...सच अब तो गांव में कांक्रीट बनते जा रहे हैं<br />बहुत अच्छी सामयिक रचनाकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-8487338780579000882021-12-23T06:39:56.845+05:302021-12-23T06:39:56.845+05:30बेहतरीन गीत आदरणीय।बेहतरीन गीत आदरणीय।Anuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-35608006555798939452021-12-23T00:28:53.905+05:302021-12-23T00:28:53.905+05:30नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवा...नमस्ते,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (23-12-2021 ) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> 'नहीं रहा अब समय सलोना' (चर्चा अंक 4287) </a> पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी। <br /><br /> चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें। <br /><br /> यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके। <br /><br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br /><br />#रवीन्द्र_सिंह_यादवRavindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.com