tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post5077810086916257311..comments2024-03-25T20:26:21.589+05:30Comments on उच्चारण: दोहे "बौने हुए गिरित्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-75831058286299788032020-06-12T21:47:56.239+05:302020-06-12T21:47:56.239+05:30वाह , आदरणीय शास्त्री जी .सुन्दर सटीक दोहे . सच ह...वाह , आदरणीय शास्त्री जी .सुन्दर सटीक दोहे . सच है छन्दबद्ध रचना आसान नहीं होती . अतुकान्त भी कभी कभी बड़ी गहरी होती है पर अब जैसा कि आपने कहा गद्य को पद्य का रूप दिया जा रहा है जो मन को कहीं नहीं छूता . हाँ गिरित्र शब्द मेरे लिये नया है . अच्छा लगा .गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-87540058474224236732020-06-12T10:57:29.582+05:302020-06-12T10:57:29.582+05:30बहुत सुंदर दोहे आदरणीयबहुत सुंदर दोहे आदरणीयAnuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-70159916422163685822020-06-11T12:12:25.017+05:302020-06-11T12:12:25.017+05:30उस पर विडंबना है कि अपना सब पढवाना चाहते हैं पर खु...उस पर विडंबना है कि अपना सब पढवाना चाहते हैं पर खुद किसी का लिखा पढ़ने का कष्ट गवारा नहीं करते गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.com