tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post5739050735700124576..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: “रचना बन जाया करती है!” (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-65985045868052024292010-09-02T19:53:36.791+05:302010-09-02T19:53:36.791+05:30एक रचनाकार को हर गुजरने वाले पल, एक नयी अनुभूति दे...एक रचनाकार को हर गुजरने वाले पल, एक नयी अनुभूति दे देते हैं, और अनायास ही रचना बन जाया करती है...ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-78447765141674209752010-09-02T12:16:28.487+05:302010-09-02T12:16:28.487+05:30bahut sunder rachana. badhai ho.bahut sunder rachana. badhai ho.anand jaganinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-25236790495158858562010-04-30T15:26:00.875+05:302010-04-30T15:26:00.875+05:30again a touchy composition guru ji....again a touchy composition guru ji....सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-38620997528604874512010-04-30T15:24:25.545+05:302010-04-30T15:24:25.545+05:30बहुत सुन्दर और शानदार रचना लिखा है आपने! आपकी लेखन...बहुत सुन्दर और शानदार रचना लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-8237338784467628222010-04-30T11:45:30.332+05:302010-04-30T11:45:30.332+05:30behad sundar rachna bani hai sir..... :)behad sundar rachna bani hai sir..... :)स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-57929335687658775682010-04-30T11:07:53.991+05:302010-04-30T11:07:53.991+05:30दर्पण दिखलाने को मेरी,
कलम मचल जाया करती है!
Jitn...दर्पण दिखलाने को मेरी,<br />कलम मचल जाया करती है!<br /><br />Jitni bhi tareef ki jaye, kam hogi.<br /><br />Congratulations for this wonderful creation.<br /><br />aapki 'kalam' ke aage nat mastak hun.<br /><br />DivyaZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-81733678743146404222010-04-30T10:58:44.479+05:302010-04-30T10:58:44.479+05:30बहुत सशक्त रचना.
रामराम.बहुत सशक्त रचना.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-789953970224954142010-04-30T06:29:34.827+05:302010-04-30T06:29:34.827+05:30वैरी ने हुँकार भरी जब,
धनवा ने टंकार करी तब,
नोक ल...वैरी ने हुँकार भरी जब,<br />धनवा ने टंकार करी तब,<br />नोक लेखनी की तब मेरी,<br />भाला बन जाया करती है!<br />रचना बन जाया करती है!!<br /><br />ye to bahut hi gazab likh diya aapne..bahut hi zabardast hai..<br />aabhaar..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-41879157094394899802010-04-30T01:58:40.172+05:302010-04-30T01:58:40.172+05:30sundar prastutui..sundar prastutui..Tejhttps://www.blogger.com/profile/07239419875368579533noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-47977020711821970282010-04-29T23:18:16.227+05:302010-04-29T23:18:16.227+05:30आदरणीय मनोज कुमार जी!
ध्यान दिलाने का शुक्रिया!
--...<b>आदरणीय मनोज कुमार जी!<br />ध्यान दिलाने का शुक्रिया!<br />--<br />टाइप करते हुए जल्दबाजी में निम्नांकित छन्दों में एक-एक लाइन छूट गई थी!<br />--<br />अब जोड़ दी गईं हैं-<br />--<br />दीन-दुखी की व्यथा देखकर, <br />धनवानों की कथा देखकर, <br />दर्पण दिखलाने को मेरी,<br />कलम मचल जाया करती है! <br />रचना बन जाया करती है!! <br /><br /><br />भँवरे ने जब राग सुनाया, <br />कोयल ने जब गाना गाया, <br />मधुर स्वरों को सुनकर मेरी,<br />नींद टूट जाया करती है! <br />रचना बन जाया करती है!!</b>डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-14102275773593183302010-04-29T20:59:31.510+05:302010-04-29T20:59:31.510+05:30आज तो आपने राज जाहिर कर दिया कि कैसे आप इतनी बढ़िया...आज तो आपने राज जाहिर कर दिया कि कैसे आप इतनी बढ़िया रचनायें लिख लेते हैं...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-48948705557743665192010-04-29T20:42:45.265+05:302010-04-29T20:42:45.265+05:30बहुत अच्छी रचना .... वाह !बहुत अच्छी रचना .... वाह !अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-20200474037414747092010-04-29T19:30:02.797+05:302010-04-29T19:30:02.797+05:30दीन-दुखी की व्यथा देखकर,
धनवानों की कथा देखकर,
दर्...दीन-दुखी की व्यथा देखकर,<br />धनवानों की कथा देखकर,<br />दर्पण दिखलाने को मेरी,<br />कलम मचल जाया करती है!<br />रचना बन जाया करती है!!<br /><br /><br />bilkul sahi baat kah di...........atyant sundar bhaav prekshan.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-53953096890738689872010-04-29T18:48:15.246+05:302010-04-29T18:48:15.246+05:30दीन-दुखी की व्यथा देखकर,
धनवानों की कथा देखकर,
क...दीन-दुखी की व्यथा देखकर, <br />धनवानों की कथा देखकर, <br />कलम मचल जाया करती है! <br />रचना बन जाया करती है!! <br />वाकई रचना तो ऐसे ही बनती हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-39883169324667017142010-04-29T18:26:32.728+05:302010-04-29T18:26:32.728+05:30शोला बनकर आग उगलते,
कहाँ-कहाँ से शब्द निकलते,
अ...शोला बनकर आग उगलते, <br />कहाँ-कहाँ से शब्द निकलते, <br />अक्षर-अक्षर मिल करके ही, <br />माला बन जाया करती है! <br />रचना बन जाया करती है!! <br /><br />बिलकुल सटीक......<br /><br /><br />वैरी ने हुँकार भरी जब, <br />धनवा ने टंकार करी तब, <br />नोक लेखनी की तब मेरी, <br />भाला बन जाया करती है! <br />रचना बन जाया करती है!!<br /><br />कलम का भाला बनना बहुत उत्तम विचार....बधाईसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-46862557660197400942010-04-29T18:01:42.930+05:302010-04-29T18:01:42.930+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-25095500313273910052010-04-29T17:48:39.972+05:302010-04-29T17:48:39.972+05:30वैरी ने हुँकार भरी जब,
धनवा ने टंकार करी तब,
नोक ...वैरी ने हुँकार भरी जब,<br />धनवा ने टंकार करी तब,<br />नोक लेखनी की तब मेरी,<br />भाला बन जाया करती है!<br />रचना बन जाया करती है!!<br /><br />बहुत अच्छी अभिव्यक्ति।<br /><br />नीचे के बंदों में एक पंक्ति की कमी खलती है। शायद टाइप में छूट गया प्रतीत होता है।<br /><br />दीन-दुखी की व्यथा देखकर,<br />धनवानों की कथा देखकर,<br />कलम मचल जाया करती है!<br />रचना बन जाया करती है!!<br /><br /><br />भँवरे ने जब राग सुनाया,<br />कोयल ने जब गाना गाया ,<br />नींद टूट जाया करती है!<br />रचना बन जाया करती है!!<br /><br /><br />वैरी ने हुँकार भरी जब,<br />धनवा ने टंकार करी तब,<br />नोक लेखनी की तब मेरी,<br />भाला बन जाया करती है!<br />रचना बन जाया करती है!!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-55185423999154980382010-04-29T16:48:29.286+05:302010-04-29T16:48:29.286+05:30मयंक जी,
रचना बहुत अच्छी लगी .
नोक लेखनी की तब म...मयंक जी,<br />रचना बहुत अच्छी लगी .<br /> नोक लेखनी की तब मेरी, <br />भाला बन जाया करती है! <br />- विजयविजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-37809858073823177862010-04-29T16:48:16.422+05:302010-04-29T16:48:16.422+05:30वैरी ने हुँकार भरी जब,
धनवा ने टंकार करी तब,
नोक ...वैरी ने हुँकार भरी जब,<br />धनवा ने टंकार करी तब,<br />नोक लेखनी की तब मेरी,<br />भाला बन जाया करती है!<br />रचना बन जाया करती है!!<br /><br /><br />वाह । क्या खूब ही कहा है आपने। सच है कवि का अपना अलग ही संसार होता है जिसका वो खुद ही नियंता होता है।<br /><br /><br />बहुत बहुत धन्यवादSANSKRITJAGAThttps://www.blogger.com/profile/12337323262720898734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-4860264259946967682010-04-29T16:43:00.654+05:302010-04-29T16:43:00.654+05:30शोला बनकर आग उगलते,
कहाँ-कहाँ से शब्द निकलते,
अ...शोला बनकर आग उगलते, <br />कहाँ-कहाँ से शब्द निकलते, <br />अक्षर-अक्षर मिल करके ही, <br />माला बन जाया करती है! <br />रचना बन जाया करती है!! <br /><br />उम्दा रचना शास्त्री जी !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-6282887791710448532010-04-29T15:57:48.027+05:302010-04-29T15:57:48.027+05:30"दीन-दुखी की व्यथा देखकर,
धनवानों की कथा देखक..."दीन-दुखी की व्यथा देखकर,<br />धनवानों की कथा देखकर,<br />कलम मचल जाया करती है!<br />रचना बन जाया करती है!!"<br /><br />बहुत खूब .....बहुत खूब !! बेहद उम्दा रचना बनी है !<br />बधाइयाँ और शुभकामनाएं !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com