tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post6372427390831721227..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: "मनाएँ कैसे हम गणतन्त्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-26300905883166649602011-01-29T15:07:17.363+05:302011-01-29T15:07:17.363+05:30बहुत ही विचारोत्तेजक प्रस्तुती ..अपनी संस्कृति के...बहुत ही विचारोत्तेजक प्रस्तुती ..अपनी संस्कृति के गौरव शाली तत्वों पर आस्था की कमी ओर पश्चिम की नक़ल ऐसे हालात मे कैसा गणतंत्र?...<br />बहुत सुन्दर रचना....<br />सादर अभिनन्दन !!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16174745947449762169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-21893658723808757672011-01-25T23:40:40.686+05:302011-01-25T23:40:40.686+05:30अंग्रेजी से ओत-प्रोत,अपने भारत का तन्त्र,मनाएँ कैस...अंग्रेजी से ओत-प्रोत,अपने भारत का तन्त्र,मनाएँ कैसे हम गणतन्त्र.....<br />विचारणीय..अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-38023532483978610342011-01-25T18:40:28.617+05:302011-01-25T18:40:28.617+05:30अंतर्मन को उद्वेलित करती ..चिंतन के लिए विवश करती...अंतर्मन को उद्वेलित करती ..चिंतन के लिए विवश करती ओजश्वी रचना....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16174745947449762169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-55970464134399009122011-01-25T18:04:50.237+05:302011-01-25T18:04:50.237+05:30बिगुल बजा कर आजादी का,मौन हो गई भाषा,देवनागरी के स...बिगुल बजा कर आजादी का,मौन हो गई भाषा,देवनागरी के सपनों की,गौण हो गई परिभाषा,सब सुप्त हो गये छंद-शास्त्र,अभिलुप्त हो गये मन्त्र।मनाएँ कैसे हम गणतन्त्र।। <br /><br />बहुत सुन्दर रचना!Anjana Dayal de Prewitt (Gudia)https://www.blogger.com/profile/13896147864138128006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-63237489826992891452011-01-25T16:51:03.750+05:302011-01-25T16:51:03.750+05:30सामाजिक विडम्बनाओं को रेखांकित करती सुंदर रचना।
...सामाजिक विडम्बनाओं को रेखांकित करती सुंदर रचना।<br /><br />---------<br />क्या आपको मालूम है कि <a href="http://za.samwaad.com/2011/01/top-hindi-blogs.html" rel="nofollow">हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग</a> कौन से हैं?Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-2428242941360597772011-01-25T14:21:59.878+05:302011-01-25T14:21:59.878+05:30अंग्रेजी से ओत-प्रोत,
अपने भारत का तन्त्र,
मनाएँ क...अंग्रेजी से ओत-प्रोत,<br />अपने भारत का तन्त्र,<br />मनाएँ कैसे हम गणतन्त्र।<br />bahut sahi kaha, sirf bharat hin nahin hamari nason mein angreji pasarti ja rahi aur hum manate apna gantantra, jismein hindi hamari raashtra bhasha...bahut achhi rachna, shubhkaamnaayen.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-6019264143987822482011-01-25T11:47:42.937+05:302011-01-25T11:47:42.937+05:30तिरंगे में लिपटी सुन्दर रचना...बधाई.तिरंगे में लिपटी सुन्दर रचना...बधाई.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-5825103375529736762011-01-25T10:54:05.532+05:302011-01-25T10:54:05.532+05:30देश मे लोगों को याद रहती है दो तारीखें 15 अगस्त और...देश मे लोगों को याद रहती है दो तारीखें 15 अगस्त और 26 जनवरी……महज औपाचारिक्त ही रह गई है। बहुत सुंदर रचना।सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-32113256161626175832011-01-25T08:34:28.197+05:302011-01-25T08:34:28.197+05:30bhatia ji ki baat se sehmat hoon, aajkal ke bachch...bhatia ji ki baat se sehmat hoon, aajkal ke bachcho ko to ye bhi nahi pata hoya ki svatantrata divas kis chidiya ka naam hai....zarurat hai soch ko jagaane ki.!!सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-27260678934877776072011-01-24T22:16:12.168+05:302011-01-24T22:16:12.168+05:30गणतन्त्र शास्त्री जी, पिछले १५,२० सालो से हम तो नह...गणतन्त्र शास्त्री जी, पिछले १५,२० सालो से हम तो नही मनाते यह गणतन्त्र दिवस, जब कि यह हमारे लिये हे....लेकिन भाषण की भाषा उन के लिये हे जिन्हे हमारे शहीदो ने मार मार कर भगाया था,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-27407055547829550302011-01-24T22:13:41.742+05:302011-01-24T22:13:41.742+05:30बहुत बढ़िया.. शानदार...बहुत बढ़िया.. शानदार...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-51840115455423896042011-01-24T21:38:57.058+05:302011-01-24T21:38:57.058+05:30ek nihayat sunder aur samyeek kavita.ek nihayat sunder aur samyeek kavita.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-82973316051930551262011-01-24T21:27:29.355+05:302011-01-24T21:27:29.355+05:30बिल्कुल सही कह रहे है आप। अब तो ये मात्र एक रस्म ह...बिल्कुल सही कह रहे है आप। अब तो ये मात्र एक रस्म होकर रह गया है। ये तो सोचने की बात है कि सही मायने में हम आज भी स्वतंत्र है या नही। सुन्दर रचना।Amit Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01787361968548267283noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-6635295415844277342011-01-24T21:11:57.405+05:302011-01-24T21:11:57.405+05:30आज के दौर की विडम्बना को रेखांकित करती कविता ........आज के दौर की विडम्बना को रेखांकित करती कविता ..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-22450390152183345762011-01-24T20:30:54.414+05:302011-01-24T20:30:54.414+05:30चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति...चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 25-01-2011<br />को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..<br /><br />http://charchamanch.uchcharan.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-51571675222055509982011-01-24T19:48:46.651+05:302011-01-24T19:48:46.651+05:30कहाँ गया गौरव अतीत,
अमृत गागर क्यों गई रीत,
क्यों ...कहाँ गया गौरव अतीत,<br />अमृत गागर क्यों गई रीत,<br />क्यों सूख गई उरबसी प्रीत, <br />खो गया कहाँ संगीत-गीत,<br /><br />बहुत ही सटीक टिप्पणी आज की व्यवस्था पर..बहुत ओजपूर्ण प्रेरक प्रस्तुति..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-74561923675677904302011-01-24T19:47:52.521+05:302011-01-24T19:47:52.521+05:30तिरंगा श्रीनगर में फहराए या नहीं पर आपने व्लाग पर ...तिरंगा श्रीनगर में फहराए या नहीं पर आपने व्लाग पर तो फहरा दिया , सुंदर रचना , बधाईSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-72013389057769978902011-01-24T19:33:59.860+05:302011-01-24T19:33:59.860+05:30विडम्बनाओं को उद्घाटित करती कविता।विडम्बनाओं को उद्घाटित करती कविता।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-70820476567405436392011-01-24T19:27:36.751+05:302011-01-24T19:27:36.751+05:30वर्तमान स्थितियों पर सटीक चोट करती कविता...वर्तमान स्थितियों पर सटीक चोट करती कविता...Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-26719294743684057922011-01-24T17:48:27.838+05:302011-01-24T17:48:27.838+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.Radhe Radhe Satak Biharihttps://www.blogger.com/profile/15040698552720503490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-86452052065795595402011-01-24T17:48:13.951+05:302011-01-24T17:48:13.951+05:30जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों क...जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये. <br /><br /><a rel="nofollow"><b>@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"</b><br /><br />जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?<br /><br />जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.<br /><br />आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.<br /><br />आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?<br /><br />वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.<br /><br />हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.<br /><br />सदभावना पूर्वक<br />-राधे राधे सटक बिहारी</a>Radhe Radhe Satak Biharihttps://www.blogger.com/profile/15040698552720503490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-26712059927595658742011-01-24T17:03:41.799+05:302011-01-24T17:03:41.799+05:30सही कह रहे हैं……………ऐसे हालात मे कैसा गणतंत्र?
बहुत...सही कह रहे हैं……………ऐसे हालात मे कैसा गणतंत्र?<br />बहुत सुन्दर रचना सोचने को मजबूर करती है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com