tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post7265099709219818565..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: ‘‘जिन्दगी का गीत रोटी मे छिपा है’’ (डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-43168895131175559452009-02-09T11:56:00.000+05:302009-02-09T11:56:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचना है।सब कुछ रोटी के लिए तो होता है।...बहुत सुन्दर रचना है।<BR/>सब कुछ रोटी के लिए तो होता है।अच्छी रचना है बधाई।<BR/><BR/>जिन्दगी का गीत रोटी मे छिपा है।<BR/>साज और संगीत, रोटी में छिपा है।।<BR/><BR/>रोटियों के लिए ही, मजबूर हैं सब,<BR/>रोटियों के लिए ही, मजदूर हैं सब।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-35332735527441290222009-02-09T10:02:00.000+05:302009-02-09T10:02:00.000+05:30जिन्दगी का गीत, रोटी मे छिपा है।। साथ ही छुपा है य...जिन्दगी का गीत, रोटी मे छिपा है।। <BR/>साथ ही छुपा है यथार्थ भी आपकी पंक्तियों में.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.com