tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post86970191799302672..comments2024-03-28T21:04:40.074+05:30Comments on उच्चारण: गीत "कोयल रोती है कानन में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-63141556592548924902021-02-06T17:19:41.226+05:302021-02-06T17:19:41.226+05:30मर्मस्पर्सी गीत बहुत सुंदर आदरणीय।मर्मस्पर्सी गीत बहुत सुंदर आदरणीय।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-12069200180263117502021-02-06T13:12:46.380+05:302021-02-06T13:12:46.380+05:30बहुत सुंदर हॄदयस्पर्शी रचना।बहुत सुंदर हॄदयस्पर्शी रचना।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-6985773028546162912021-02-06T00:56:05.497+05:302021-02-06T00:56:05.497+05:30युग केवल अभिलाषा का है,
बिगड़ गया सुर भाषा का है,
...युग केवल अभिलाषा का है,<br />बिगड़ गया सुर भाषा का है,<br />जीवन नाम निराशा का है,<br />कोयल रोती है कानन में।<br />कैसे फूल खिलें उपवन में?<br /><br />प्रकृति और समसामयिक वातावरण का सुंदर सामंजस्य प्रस्तुत करती हृदयस्पर्शी रचना...<br />सादर नमन 🌹🙏🌹<br />-डॉ शरद सिंहDr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-38230625381030200792021-02-05T17:46:57.763+05:302021-02-05T17:46:57.763+05:30मौसम भी अनुरूप नहीं है,
चमकदार अब धूप नहीं है,
तेज...मौसम भी अनुरूप नहीं है,<br />चमकदार अब धूप नहीं है,<br />तेजस्वी अब “रूप” नहीं है,<br />पात झर गये मस्त पवन में।<br />कैसे फूल खिलें उपवन में?<br /><br />बहुत सुंदर गीत आदरणीय .. नमन 🙏Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-30215916965453335422021-02-05T17:22:52.478+05:302021-02-05T17:22:52.478+05:30जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल...जी नमस्ते ,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०२-२०२१) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> 'स्वागत करो नव बसंत को' (चर्चा अंक- ३९६९)</a> पर भी होगी।<br />आप भी सादर आमंत्रित है। <br />--<br />अनीता सैनी अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-29313708118736951382021-02-05T10:55:04.968+05:302021-02-05T10:55:04.968+05:30अंग और प्रत्यंग वही हैं,
पहले जैसे रंग नहीं हैं,
ज...अंग और प्रत्यंग वही हैं,<br />पहले जैसे रंग नहीं हैं,<br />जीने के वो ढंग नहीं हैं,<br />काँटे उलझे हैं दामन में।<br />कैसे फूल खिलें उपवन में?..सारगर्भित संदेश देती सुंदर रचना..जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-59518342771772078742021-02-05T10:22:40.414+05:302021-02-05T10:22:40.414+05:30सुंदर गीत..मनमोहक..
सुंदर गीत..मनमोहक..<br />मन जैसा कुछhttps://www.blogger.com/profile/03267889928959025169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5484540138728195838.post-43534846869979351612021-02-05T10:16:20.555+05:302021-02-05T10:16:20.555+05:30वाह, क्या खूब लिखा है आपने।वाह, क्या खूब लिखा है आपने।शिवम कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/04835045259840214933noreply@blogger.com