The Sick Rose : William Blake अनुवादक: डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” |
पारंगत निष्णात कला में, ओ गुलाब तू! एक कीट अदृश्यमान सा, ओ गुलाब तू! रजनी की काली छाया में, लरज़ रहा है! उड़ती हुई मक्खियों जैसा, गरज़ रहा है! सुर्ख खुशी पसरी हैं, तेरे बिछे हुए बिस्तर में! महक अनोखी आती है, भीनी-भीनी चादर में! लेकिन इस कोमल शैय्या में, गुप्त-प्रेम का तम छाया है! ओ गुलाब! तू इसी लिए तो, रोगी कहलाया है! तुझे प्रेम के कीड़े ने, बीमार बनाया है! ओ गुलाब! बस इसी लिए तू, रोगी कहलाया है! |
William Blake |
अरे वाह्……………………॥बहुत ही सुन्दर अनुवाद जो अनुवाद कम और कविता का प्राण ज्यादा लग रहा है और शायद यही तो आपकी खासियत है………………गज़ब का लेखन्…………………।बधाई।
जवाब देंहटाएंkya bat he
जवाब देंहटाएंgulab ke itne rang
pahli bar pade hamne
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\
बेहतरीन अनुवाद
जवाब देंहटाएंमजा आया
बढिया है. लेकिन हमें आपकी रचनायें पढने में ही ज़्यादा मज़ा आता है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.. जब अनुवाद भी सुन्दर हो तो और मजा आता है...
जवाब देंहटाएंप्रेम-कीट तो है गुलाब,
जवाब देंहटाएंपर बहुत अनोखा है,
इसके काटे का दर्द
हमेशा मीठा होता है!
अनुवाद की शृंखला
जवाब देंहटाएंपूरी सफलता
के साथ
पूरे चरमोत्कर्ष पर है!
जवाब देंहटाएंसमस्त अनूदित रचनाओँ के कवि
हमेशा मयंक जी के ऋणी रहेंगे!
तुझे प्रेम के कीड़े ने,
जवाब देंहटाएंबीमार बनाया है!
ओ गुलाब! बस इसी लिए तू,
रोगी कहलाया है!
बहुत सुन्दर अनुवाद...कविता भी चुन कर ली है....सुन्दर कविताओं के सुन्दर अनुवाद के लिए आभार
बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएं" bahut hi accha anuvad "
जवाब देंहटाएं" gulaab ke itane saare rang "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
ओ गुलाब ...तू इसलिए रोगी कहलाया है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता का बेहतरीन अनुवाद ...!!
यह केवल अनुवाद नहीं है ... आपने तो उस कविता का सार अपने अनुवाद में ले आया है ! अति उत्तम !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दरता से आपने अनुवाद किया है! बढ़िया लगा रचना!
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