-- जो
गई है गुजर फिर वो आनी नहीं यह
हकीकत है कोई कहानी नहीं -- चाट
लो चाहे ताकत की चटनी भले चढ़ती
ढलती उमर में जवानी नहीं -- चार
दिन का है मौसम बहारों भरा खिलती
कलियाँ हमेशा सुहानी नहीं -- पालना
पौध को काम मुश्किल बड़ा सबको
आती यहाँ बागवानी नहीं -- मैं
जईफी की किससे कहूँ दास्तां जिन्दगी
की बची अब निशानी नहीं -- सूखकर
है बदन आज काँटा हुआ बहता
दरिया में हर रोज पानी नहीं -- रूप
रहता नहीं है सलामत कभी अब
रवानी रही खानदानी नहीं -- |
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सोमवार, 9 सितंबर 2024
ग़ज़ल "ढलती उमर में जवानी नहीं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
रविवार, 8 सितंबर 2024
ग़ज़ल "सावन की झड़ी वो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
-- खुशी
की आ गयी अब तो घड़ी वो महकने
लग गयी जब से लड़ी वो -- गुजरने
लग गये दिन अब खुशी से सफर
में जुड़ गयी जब से कड़ी वो -- भरी
बरसात में जब हम मिले थे मुझे
है याद सावन की झड़ी वो -- हमारे
प्यार की देती गवाही महल
से कम नहीं थी झोंपड़ी वो -- रूप
का पानी जहाँ हमने पिया था अभी
सूखी नहीं है बावड़ी वो -- |
शनिवार, 7 सितंबर 2024
दोहे "श्री गणेश चतुर्थी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
श्री गणेश चतुर्थी -- आदिदेव के नाम से, करना सब शुभ-कार्य। गणपति की पूजा करो, कहते धर्माचार्य।। -- भर देता नवऊर्जा, चतुर्दशी का पर्व। गणपति के त्यौहार पर, भक्तों को है गर्व।। हुआ चतुर्थी से शुरू, गणपति जी का पर्व। हर्षित होते दस दिवस, सुर-नर, मुनि गन्धर्व।। वन्दन-पूजन से किया, सबने विदा गणेश। विघ्नविनाशक आप ही, सबके हो प्राणेश।। बाधाओं का शमन हो, मिट जायेंगे रोग। मोदक से विध्नेश को, आप लगायें भोग।। रमा और माँ शारदे, रहें आपके साथ। रखना मेरे शीश पर, गणनायक जी हाथ।। मूषक ढोता आपका, भारी-भरकम भार। गणपति मेरे सदन में, आओ बारम्बार।। |
शुक्रवार, 6 सितंबर 2024
"गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश वन्दना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गणेश वन्दना गणेशोत्सव पर विशेष गणेश चतुर्थी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ! -- और आप भी साथ-साथ गाइए! विघ्न विनाशक-सिद्धि विनायक। कृपा करो हे गणपति नायक!! -- सबसे पहले तुमको ध्याता, चरणयुगल में शीश नवाता, आदि देव जय-जय गणनायक। कृपा करो हे गणपति नायक!! -- पार्वती-शिव के तुम नन्दन, करते सभी तुम्हारा वन्दन, सबको देते फल शुभदायक! कृपा करो हे गणपति नायक!! -- लेकर धूप-दीप और चन्दन, सारा जग करता अभिनन्दन, मैं अबोध अनुचर अनुगायक! कृपा करो हे गणपति नायक!! -- मूषक-मोदक तुमको प्यारे, विपदाओं को टारनहारे, निर्बल के तुम सदा सहायक! कृपा करो हे गणपति नायक!! -- |
गुरुवार, 5 सितंबर 2024
दोहे "शिक्षक दिवस" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- आता है शिक्षक दिवस, एक साल के बाद। गुरुओं के सम्मान की, हमें दिलाने याद।। -- राधाकृष्णन आपको, करते नमन हजार। जिसने शिक्षक दिन दिया, भारत को उपहार।। -- धन्य हुए गुरुजन सभी, पाकर यह सौगात। आओ सब मिल कर करें, अध्यापक की बात।। -- जो कहलाता था कभी, प्रभु से अधिक महान। घटा आज क्यों देश में, शिक्षक का सम्मान।। -- अध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार। बन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।। -- छात्र और शिक्षक अगर, सुधर जाएँगे आज। तो फिर से हो जाएगा, उन्नत देश-समाज।। |
बुधवार, 4 सितंबर 2024
ग़ज़ल "दुनिया को हैरान न कर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
-- भौंहें वक्र-कमान न कर लक्ष्यहीन संधान न कर -- ओछी हरक़त करके बन्दे दुनिया को हैरान न कर -- दीन-धर्म पर करके दंगे ईश्वर का अपमान न कर -- मन पर काबू करले प्यारे दिल को बेईमान न कर -- जल-जंगल से ही जीवन है दोहन और कटान न कर -- जो जनता को आहत करदे ऐसे कभी बयान न कर -- जिससे हो नुकसान वतन का ज़ारी वो फ़रमान न कर -- नहीं सलामत 'रूप' रहेगा सूरत पर अभिमान न कर -- |
मंगलवार, 3 सितंबर 2024
गीत "घर का वैद्य तुलसी का पौधा " (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- विघ्न विनाशक मंगलकारी। तुलसी का पौधा गुणकारी।। -- यह पावन परिवेश बनाता, इसीलिए तो पूजा जाता, तुलसी का बिरुआ करता है, घर-आँगन की पहरेदारी। तुलसी का पौधा गुणकारी।। -- वातावरण सुगन्धित करता, संस्कार जीवन में भरता, पूजा के प्रसाद में होती, तुलसी जी की भागीदारी। तुलसी का पौधा गुणकारी।। -- तुलसी कलयुग की संजीवन, माला होती इसकी पावन, करती है मन को अविकारी। तुलसी का पौधा गुणकारी।। -- रोग-शोक भी निकट न आये, सरदी-खाँसी दूर भगाए, लहर-लहर लहराती जाती, प्रणिमात्र की है हितकारी। तुलसी का पौधा गुणकारी।। -- अपना जीवन धन्य बनाओ। तुलसी के बिरुए उपजाओ। घर का वैद्य इसे ही कहते, दूर भगाता यह बीमारी। तुलसी का पौधा गुणकारी।। -- |
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