मधुमक्खी है नाम तुम्हारा। शहद बनाना काम तुम्हारा।। -- छत्ते में मधु को रखती हो। कभी नही इसको चखती हो।। -- कंजूसी इतनी करती हो। रोज तिजोरी को भरती हो।। -- दान-पुण्य का काम नही है। दया-धर्म का नाम नही है।। -- इक दिन डाका पड़ जायेगा। शहद-मोम सब उड़ जायेगा।। -- मिट जायेगा यह घर-बार। लुट जायेगा यह संसार।। -- जो मिल-बाँट हमेशा खाता। कभी नही वो है पछताता।। -- |
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मंगलवार, 2 मार्च 2021
बालकविता "शहद बनाना काम तुम्हारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
गीत "तितली है फूलों से मिलती" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मोह रहा है सबके मन को बासन्ती शृंगार।। -- गदराई है डाली-डाली, चारों ओर सजी हरियाली, कुहुक रही है कोयल काली, नीम-बेर-बेलों पर भी आया है नया निखार। मोह रहा है सबके मन को बासन्ती शृंगार।। -- हँसते गेहूँ, सरसों खिलती, तितली भी फूलों से मिलती, पवन बसन्ती सर-सर चलती, सबको गले मिलाने आया, होली का त्यौहार। मोह रहा है सबके मन को बासन्ती शृंगार।। -- निर्मल जल की धारा बहती, कभी न थकती चलती रहती, नदिया तालाबों से कहती, "चरैवेति" पर टिका हुआ है सारा ही संसार। मोह रहा है सबके मन को बासन्ती शृंगार।। -- |
सोमवार, 1 मार्च 2021
दोहे "बहुत कठिन है राह" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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रविवार, 28 फ़रवरी 2021
गीत "मौसम ने ली है अँगड़ाई" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
मौसम ने ली है अँगड़ाई। गेहूँ की बालियाँ सुखाने, पछुआ पश्चिम से है आई।। पर्वत का हिम पिघल रहा है, निर्झर बनकर मचल रहा है, जामुन-आम-नीम गदराये, फिर से बगिया है बौराई। गेहूँ की बालियाँ सुखाने, पछुआ पश्चिम से है आई।। ![]() रजनी में चन्दा दमका है, पूरब में सूरज चमका है, फुदक-फुदककर शाखाओं पर, कोयलिया ने तान सुनाई। गेहूँ की बालियाँ सुखाने, पछुआ पश्चिम से है आई।। वन-उपवन की शान निराली, चारों ओर विछी हरियाली, हँसते-गाते सुमन चमन में, भँवरों ने गुंजार मचाई। गेहूँ की बालियाँ सुखाने, पछुआ पश्चिम से है आई।। सरसों का है रूप सलोना, कितना सुन्दर बिछा बिछौना, मधुमक्खी पराग लेने को, खिलते गुंचों पर मँडराई। गेहूँ की बालियाँ सुखाने, पछुआ पश्चिम से है आई।। -- |
शनिवार, 27 फ़रवरी 2021
गीत "गाता है ऋतुराज तराने" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
वासन्ती मौसम आया है, |
शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021
बालकविता "आयी रेल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
धक्का-मुक्की रेलम-पेल। आयी रेल-आयी रेल।। ![]() इंजन चलता सबसे आगे। पीछे -पीछे डिब्बे भागे।। हार्न बजाता, धुआँ छोड़ता। पटरी पर यह तेज दौड़ता।। ![]() जब स्टेशन आ जाता है। सिग्नल पर यह रुक जाता है।। जब तक बत्ती लाल रहेगी। इसकी जीरो चाल रहेगी।। हरा रंग जब हो जाता है। तब आगे को बढ़ जाता है।। ![]() बच्चों को यह बहुत सुहाती। नानी के घर तक ले जाती।। सबके मन को भाई रेल। आओ मिल कर खेलें खेल।। धक्का-मुक्की रेलम-पेल। आयी रेल-आयी रेल।। |
गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021
गीत "आँसू यही बताते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
--दुख आने पर नयन
बावरे,
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