“नदी सरोवर झील”
एक संग्रहणीय दोहासंग्रह
श्री जय सिंह आशावत जी काफी समय से दोहों पर अपनी लेखनी चला रहे हैं।
आपने मुखपोथी (फेसबुक) पर 2017 में मेरे द्वारा संचालित “दोहाशिरोमणि
प्रतियोगिता” समूह में भी प्रतिभाग किया था। दोहों की गुणवत्ता को देखते हुए
साहित्य शारदा मंच, खटीमा (उत्तराखण्ड) आपको “दोहा शिरोमणि” के मानद सम्मान से
भी अलंकृत किया था।
कुछ दिनों पूर्व जब मुझे आपके द्वारा रचित “नदी सरोवर झील” नामक दोहाकृति
प्राप्त हुई तो मुझे अपार प्रसन्नता हुई और मेरा मन “नदी सरोवर झील” के बारे में
कुछ लिखने को बाध्य हो गया। मैंने साहित्य की लम्बी यात्रा में यह पाया है कि
लोग दोहा लिखना हँसी-खेल मानने लगे हैं। जबकि दोहा लिखना एक सरल नहीं अपितु दुरूह
कार्य है। जिसमें कम शब्दों में अपनी पूरी बात को कहा जाता है और इतना ही नहीं
बल्कि कवि को अपने दोहों में शब्दों के चुटीलेपन से पैनापन भी लाना पड़ता है।
“नदी सरोवर झील” दोहाकृति पर चर्चा करने से पहले मैं इसके
रचयिता जयसिंह आशावत के बारे में कुछ
बताना चाहता हूँ। आपकी अब तक तीन कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं-
1-
अब पाती काँई लिखो
(राजस्थानी दोहा संग्रह)
2-
मस्त मयूरा नाचे
(हिन्दी गीत संग्रह) और
3-
“नदी सरोवर झील”
(हिन्दी दोहा संग्रह)
कवि जयसिंह आशावत ने “नदी सरोवर झील” नामक हिन्दी दोहा संग्रह में अपने
दोहों को विषयानुसार शीर्षकबद्ध करके संकलित किया है। परम्परा है कि पुस्तक का
प्रारम्भ अक्सर वन्दना से किया जाता है। कवि ने भी इस परम्परा को जीवित रखते हुए
“आराधना एवं विनती” शीर्षक से अच्छे दोहे प्रस्तुत किये हैं। वे लिखते हैं-
“अक्षर की आराधना, है मेरा नित नेम।
दिन दूना रत चौगुना, बढ़े शब्द से प्रेम।।
--
माँ वाणी का हृदय से, बहुत-बहुत आभार।
ढलता दोहा छन्द में, जो भी किया विचार।।“
आपने इस दोहा संग्रह में साढ़े सात सौ दोहों को
स्थान दिया है। जैसा कि आपने एक दोहे में आपने यह कहा भी है-
“दोहे साढ़े सात सौ, इस पुस्तक के प्राण।
पढ़कर दें विद्वानजन, मुझको पत्र प्रमाण।।“
आपने नववर्ष, बसन्त, होली, ग्रीष्मऋतु, शीत, दशहरा आदि पर्वों और मौसमों
पर उत्कृष्ट दोहे प्रस्तुत किये हैं।
“खिला-खिला मौसम हुआ, अधरों पर नव गीत।
ऋतु बसन्त की आ गयी, घर आ जाओ मीत।।
--
गली, मुहल्ला, गाँव में, होली की है धूम।
रसिया फाग सुना रहे, जाकर घर-घर घूम।।
--
कम्बल और रजाइयाँ, कानों के गुलबन्द।
ऊनी बाहर आ गये, थे बक्सों में बन्द।।
--
नये वर्ष में हम करें, कुछ ऐसा संकल्प।
पिछली भूल सुधार लें, है ये मात्र विकल्प।।
--
सूरज के तेवर चढ़े, हुई दुपहरी लाल।
पिघला डामर सड़क का, सूखे नदियाँ-ताल।।
--
खूब दशहरा मन रहा, पुतले जला अनेक।
जो रावण मन में धँसा, उसको सके न देख।।“
इसके अतिरिक्त कवि ने बहुत से शीर्षकों जैसे स्वास्थ्य
में हँसी का महत्व बताते हुए लिखा है-
“खूब ठहाका मारिये, मिल मित्रों के संग।
दूजे ऐसा समझ लें, पी ली तुमने भंग।।
प्रेम-प्यार के बारे में कवि ने अपनी बात को कुछ
इस प्रकार शब्द दिये हैं-
“सागर भी गहरा नहीं, जितना गहरा प्यार।
अब तक तल की खोज में, लगा हुआ संसार।।“
समय की महत्ता बताते हुए कवि कहता है-
“कार्य नियोजन की कला, और समय उपयोग।
जिनको भी यह आ गया, मिले सफलता योग।।"
लेखन नामक शीर्षक से कवि ने अपने दोहे कुछ इस
प्रकार से कहे हैं-
“सीधे शब्दों में कहो, सीधी-सच्ची बात।
सीधी दिल में उतरती, दिन हो चाहे रात।।“
नारी शीर्षक से कवि ने लगभग दो दर्जन दोहें मं
कुछ इस तरह की सीख दी है-
“युगों-युगों से आज तक, जारी है संघर्ष।
पर नारी का आज तक, बाकी है संघर्ष।।“
इस प्रकार अनेकों विविध शीर्षकों से कवि ने
अपनी दोहाकृति “नदी सरोवर झील” को उत्कृष्ट दोहों से सुसज्जित किया है। इतने
सारे दोहों में यद्यपि कहीं-कहीं कुछ दोहों में मात्राओं की विसंगति भी रही है।
मुझे आशा है कि वो इस दोहाकृति के द्वितीय संस्करण में सही कर ली जायेंगी।
“नदी सरोवर झील” को पढ़कर मैंने अनुभव किया है कि कवि जयसिंह
आशावत ने सभी की रुचि को ध्यान में रखकर दोहे की मर्यादाओं का का जो निर्वहन
किया है वह एक कुशल लेखक ही कर सकता है। मुझे पूरा विश्वास है कि “नदी सरोवर झील” दोहासंकलन को
पढ़कर पाठक अवश्य लाभान्वित होंगे और यह दोहाकृति समीक्षकों की दृष्टि से भी उपादेय
सिद्ध होगी।
“नदी सरोवर झील” दोहासंकलन
को बोधि प्रकाशन जयपुर द्वारा प्रकाशित किया गया है और इसका कॉपीराइट लेखक का ही
है। जिसे आप लेखक के निम्न पते से भी प्राप्त
कर सकते हैं—
श्री
जयसिंह आशावत
नैनवा, पोस्ट-नैनवा, जिला बून्दी
राजस्थान)
पिन-323801
से प्राप्त कर सकते हैं।
इनका सम्पर्क नम्बर - 9414963266 तथा 7737242437
E-Mail . jaisinghnnw@gmail.com है।
132 पृष्ठों
की पेपरबैक पुस्तक का मूल्य मात्र रु. 150/- है।
दिनांकः 30-11-2018(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) कवि एवं साहित्यकार टनकपुर-रोड, खटीमा जिला-ऊधमसिंहनगर (उत्तराखण्ड) 262 308 E-Mail . roopchandrashastri@gmail.com Website. http://uchcharan.blogspot.com/ Mobile No. 7906360576 |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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शुक्रवार, 30 नवंबर 2018
समीक्षा “नदी सरोवर झील” (समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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श्री जयसिंह आशावत जी की "नदी सरोवर झील” दोहासंग्रह की सार्थक समीक्षा प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसमीक्षा में प्रयुक्त दोहों से संग्रह की उत्कृष्टता का स्वतः ही भान होता है, आभार!