भूले से भी कृतघ्न
को, मत देना सम्मान।।
जो खाता जिस थाल
में, करता उसमें छेद।
ऐसे कपटी व्यक्ति
को, कभी न देना भेद।।
मतलब वाले लोग तो,
रखते मन मॆं पाप।
कह देते हैं गधों
को, मतलब में वो बाप।।
अच्छे लोगों को
सदा, देते रहना मान।
माने जो अहसान को,
होता वही महान।।
रखते बुद्धि-विवेक
जो, वो ही होते नेक।
उनका ही होता सदा,
अभिनन्दन-अभिषेक।।
आती-जाती धूप पर,
मत करना अभिमान।
होता अपने हाथ में,
नहीं मान-अपमान।।
ज्ञान न कोई भीख
है, ज्ञान न कोई दान।
जो करता है साधना, उसको मिलता ज्ञान।।
|
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मंगलवार, 18 दिसंबर 2018
दोहे "ज्ञान न कोई दान" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’).
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