मौसम का पहला कुहरा
आने में
नया साल
लेकिन
आज पहली बार
कुहरे ने दस्तक दे दी
और बिगाड़ दिये
मौसम के हाल
यही तो है
कुदरत का कमाल
जिसके कारण
जन-जीवन
हो गया बदहाल
अनायास ही बदन में
बढ़ गयी ठिठुरन
अंग-अंग में
होने लगी कम्पन
बच्चों और बूढ़ों के
दाँत बजने लगे
घरों और चौराहों में
अलाव जलने लगे
कुहरे का यह रूप
गरीबों को तो
कभी नहीं भाया
और
पतले से स्वाटर में
काँप रही थी
हॉकर की काया
इसलिए वह
समाचार पत्र भी
देर से लाया
पहले पन्ने पर
क्या पहाड़, क्या
मैदान
सभी जगह
आवाजाही थम गयी
तीस साल बाद
कश्मीर की
डलझील जम गयी
उत्तराखण्ड के औली में
सड़क पर बिछी
बर्फ की सफेद चादर
कुदरत की सौगात से
वाहनों की गति
हो गयी मन्थर
सरदी के साथ
नया साल
दे रहा है दस्तक
भाषणों में वायदों की
लगी रहेगी झड़ी
आने वाले
चुनावों तक...
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शनिवार, 29 दिसंबर 2018
अकविता "नये साल की दस्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर
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