जीवन एक मुसाफिरखाना
जो आया है, उसको जाना
झूठी काया, झूठी छाया
माया में मत मन भरमाना
सुख के सपने रिश्ते-नाते
बहुत कठिन है इन्हें निभाना
ताकत है तो, सब है अपने
कमजोरी में झिड़की-ताना
आँखों के तारे दुर्दिन में
जान गये हैं आँख दिखाना
इस दुनिया की यही कहानी
कल हो जाता आज पुराना
सुमन सीख देते हैं सबको
आज खिले कल है मुरझाना
“रूप” न टिकता कभी किसी का
क्षमा न करता कभी ज़माना
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शनिवार, 8 दिसंबर 2018
ग़ज़ल "कल हो जाता आज पुराना" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह बहुत खूब लिखा है सर।
जवाब देंहटाएंवाह !!बहुत ख़ूब आदरणीय 👌
जवाब देंहटाएंजीवन एक मुसाफिरखाना
जवाब देंहटाएंजो आया है, उसको जाना
झूठी काया, झूठी छाया
माया में मत मन भरमाना
सुख के सपने रिश्ते-नाते
बहुत कठिन है इन्हें निभाना
ताकत है तो, सब है अपने
कमजोरी में झिड़की-ताना
आँखों के तारे दुर्दिन में
जान गये हैं आँख दिखाना
इस दुनिया की यही कहानी
कल हो जाता आज पुराना
सुमन सीख देते हैं सबको
आज खिले कल है मुरझाना
“रूप” न टिकता कभी किसी का
क्षमा न करता कभी ज़माना
तमाम अशआर अपना वजन और अर्थ मुखरित कर रहें हैं बे -पर्दा हो :
तरुवर पत्ते को समझाए
अभी है आना, अभी है जाना ,
अभी नया है अभी पुराना।
veerujan.blogspot.com
veerusa.blogspot.com
physicalsciences05.blogspot.com
veeruji05.blogspot.com
सृष्टि का नियम है परिवर्तन -कुछ भी इससे अछूता नहीं रहता.
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11 -5-21) को "कल हो जाता आज पुराना" '(चर्चा अंक-4062) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
ग़ज़ल का एक-एक शेर सच्चाई बयान करता है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंप्रणाम शास्त्री जी, अद्भुत लिखा ..आँखों के तारे दुर्दिन में
जवाब देंहटाएंजान गये हैं आँख दिखाना
इस दुनिया की यही कहानी
कल हो जाता आज पुराना...बहुत खूब