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रविवार, 25 जनवरी 2009
स्वागत नव -वर्ष ( डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" )
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
ज्ञान गंग की बहती धारा ,
चन्दा , सूरज से उजियारा ।
आन -बान और शान हमारी -
संविधान हम सबको प्यारा ।
प्रजातंत्र पर भारत वाले करते हैं अभिमान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
शीश मुकुट हिमवान अचल है ,
सुंदर -सुंदर ताजमहल है ।
गंगा - यमुना और सरयू का -
पग पखारता पावन जल है ।
प्राणों से भी मूल्यवान है हमको हिन्दुस्तान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
स्वर भर कर इतिहास सुनाता ,
महापुरुषों से इसका नाता ।
गौतम , गांधी , दयानंद की ,
प्यारी धरती भारतमाता ।
यहाँ हुए हैं पैदा नानक , राम , कृष्ण , भगवान् ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
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आपको अनेक ब्लॉगस पर टिपण्णी करते पाकर यहां पहुंचा,यहां आपका परिचय व रचनाकर्म देख कर अच्छा लगा-बधाई मेरे ब्लॊग्स
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