-- वासन्ती मौसम में उपवन, खुल करके मुस्काया है। पौत्र प्रांजल ने आँगन को, खुशबू से महकाया है।। -- नेह नीर की पावन सरिता, मेरे मन मॆं बहती है, बीससाल से पाँच मार्च की, प्रबल प्रतीक्षा रहती है, मार्च मास सूनी बगिया में, खुशियाँ लेकर आया है। पौत्र प्रांजल ने आँगन को, खुशबू से महकाया है।। -- जैसे मथुरा नगरी चहक रही है, कान्हा-कृष्ण-मुरारी से, वैसे ही गुंजित है मेरा, सदन सहज किलकारी से, सौम्य-सलौना और खिलौना, बालक मैंने पाया है। पौत्र प्रांजल ने आँगन को, खुशबू से महकाया है।। -- बालक होते हैं जिस घर में, वो लगता गहवारा सा, दादा-दादी को तब मिलता, अभिनव एक सहारा सा, शिवजी ने भी इस अवसर पर, डमरू खूब बजाया है। पौत्र प्रांजल ने आँगन को खुशबू से महकाया है।। -- कल के नन्हे पौधे पर, अब नूतन यौवन आया है, पथ पर जाने वालों को, वो देता अपनी छाया है, जन्मदिवस पर शुभ आशीषों का, यह गीत बनाया है। पौत्र प्रांजल ने आँगन को खुशबू से महकाया है।। -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 5 मार्च 2025
गीत "पौत्र प्राँजल का 26वाँ जन्मदिन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025
दोहे "जगतनियन्ता रुद्र" (डॉ-रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गंगा की महिमा सभी, करते हैं स्वीकार। कट जायेंगे पाप सब, हर-हर के हरद्वार।। -- तन-मन के हरने चले, अपने सारे दोष। लगे गूँजने धरा पर, शिवजी के उद्घोष।। -- काँवड़ काँधे पर धरे, चले जा रहे भक्त। सबका पावन चित्त है, श्रद्धा से अनुरक्त।। -- ब्रह्मा, विष्णु-महेश की, गाथा कहें पुराण। भोले बाबा कीजिए, सब जग का कल्याण।। -- पुण्यागिरि के शिखर पर, पार्वती का धाम। नित्य-नियम से लीजिए, माँ दुर्गा का नाम।। -- जगतनियन्ता रुद्र है, दुनिया का आधार। शिवशंकर का नाम ही, करता भव से पार।। -- अपने भारत देश में, कण-कण में हैं राम। राम-नाम के जाप से, बनते बिगड़े काम।। -- |
बुधवार, 26 फ़रवरी 2025
-- शिव मन्दिर में ला रहे, भक्त आज उपहार। दर्शन करने के लिए, लम्बी लगी कतार।१। -- बेर-बेल के पत्र ले, भक्त चले शिवधाम। गूँज रहा है भुवन में, शिव-शंकर का नाम।२। -- काँवड़ लेकर आ गये, भाई-बहन अनेक। पावन गंगा नीर से, करने को अभिषेक।३। -- जंगल में खिलने लगा, सेमल और पलाश। हर-हर, बम-बम नाद से, गूँज रहा आकाश।४। -- गेँहू बौराया हुआ, सरसों करे किलोल। सुर में सारे बोलते, हर-हर, बम-बम बोल।५। -- शिव जी की त्रयोदशी, देती है सन्देश। ग्राम-नगर का देश का, साफ करो परिवेश।६। -- देवों ने अमृत पिया, नहीं मिला वो मान। महादेव शिव बन गये, विष का करके पान।७। -- नर-वानर-सुर मानते, जिनको सदा सुरेश। विघ्नविनाशक के पिता, जय हो देव महेश।८। -- सच्चे मन से जो करे, शिव-शंकर का ध्यान। उसको ही मिलता सदा, भोले का वरदान।९। -- शंकरमय होने लगे, नगर
और देहात। पूरी करती कामना, शिवजी
की शिवरात।१०। -- शिवतेरस के पर्व में, रखना
धैर्य-विवेक। भक्ति भाव से कीजिए, शिवजी
का अभिषेक।११। -- शिव के मन्दिर में चलो, सच्चे
मन के साथ।। मनचाहे वरदान को, देते
भोलेनाथ।१२। -- शंकर जी के रंग में, रँगे
नगर-देहात। आयी खुशियाँ बाँटने, शिवजी की शिवरात।१३। -- |
मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025
दोहे "शिव-शंकर का नाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
शिव मन्दिर में ला रहे, भक्त आज उपहार। दर्शन करने के लिए, लम्बी लगी कतार।२। -- पावन गंगा नीर से, करने शिव अभिषेक। काँवड़ लेकर आ गये, प्रभु के दास अनेक।३। -- जंगल में खिलने लगा, सेमल और पलाश। हर-हर, बम-बम नाद से, गूँज रहा आकाश।४। -- गेँहू बौराया हुआ, सरसों करे किलोल। सुर में सारे बोलते, हर-हर, बम-बम बोल।५। -- शिव जी की त्रयोदशी, देती है सन्देश। ग्राम-नगर का देश का, साफ करो परिवेश।६। -- देवों ने अमृत पिया, नहीं मिला वो मान। महादेव शिव बन गये, विष का करके पान।७। -- नर-वानर-सुर मानते, जिनको सदा सुरेश। विघ्नविनाशक के पिता, जय हो देव महेश।८। -- सच्चे मन से जो करे, शिव-शंकर का ध्यान। उसको ही मिलता सदा, भोले का वरदान।९। -- |
सोमवार, 24 फ़रवरी 2025
शिव वन्दना "हे महादेव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
तुम पंचदेव में महादेव!! -- तुम विघ्नविनाशक के ताता जो तुमको मन से है ध्याता उसका सब संकट मिट जाता भोले-भण्डारी महादेव! तुम पंचदेव में महादेव!! -- कर्ता-धर्ता-हर्ता सुधीर तुम सुरसेना के महावीर दुर्गम पर्वतवासी सुबीर हे निराकार-साकार देव! तुम पंचदेव में महादेव!! -- नन्दी तुमको लगता प्यारा माथे पर शशि को है धारा धरती पर सुरसरि को तारा हे कालकूट हे महादेव! तुम पंचदेव में महादेव!! -- त्रिशूल. जटा, डमरूधारी दुष्टों के हो तुम संहारी बाघम्बरधारी वनचारी हे दुष्टदलन, हे महादेव! तुम पंचदेव में महादेव!! जो शंकर की पूजा करता पापकर्म से वो है डरता भवसागर से वो ही तरता उस पर करते तुम कृपा देव! तुम पंचदेव में महादेव!! -- तुम विघ्नविनाशक के ताता जो तुमको मन से है ध्याता उसका सब संकट मिट जाता भोले-भण्डारी महादेव! तुम पंचदेव में महादेव!! -- कर्ता-धर्ता-हर्ता सुधीर तुम सुरसेना के महावीर दुर्गम पर्वतवासी सुबीर हे निराकार-साकार देव! तुम पंचदेव में महादेव!! -- नन्दी तुमको लगता प्यारा माथे पर शशि को है धारा धरती पर सुरसरि को तारा हे कालकूट हे महादेव! तुम पंचदेव में महादेव!! -- त्रिशूल. जटा, डमरूधारी दुष्टों के हो तुम संहारी बाघम्बरधारी वनचारी हे दुष्टदलन, हे महादेव! तुम पंचदेव में महादेव!! जो गिरीश की पूजा करता वो है पापकर्म से डरता भवसागर से वो ही तरता उस पर करते तुम कृपा देव! तुम पंचदेव में महादेव!! -- |
शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025
फागुन गीत "आया मधुमास" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- फागुन की फागुनिया लेकर, आया मधुमास! पेड़ों पर कोपलियाँ लेकर, आया मधुमास!! -- धूल उड़ाती पछुआ चलती, जिउरा लेत हिलोर, देख खेत में सरसों खिलती, नाचे मन का मोर, फूलों में पंखुड़िया लेकर, आया मधुमास! पेड़ों पर कोपलियाँ लेकर, आया मधुमास!! निर्मल नभ है मन चञ्चल है, सुधरा है परिवेश, माटी के कण-कण में, अभिनव उभरा है सन्देश, गीतों में लावणियाँ लेकर, आया मधुमास! पेड़ों पर कोपलियाँ लेकर, आया मधुमास!! छम-छम कानों में बजती हैं गोरी की पायलियाँ, चहक उठी हैं, महक उठी हैं, सारी सूनी गलियाँ, होली की रागनियाँ लेकर, आया मधुमास! पेड़ों पर कोपलियाँ लेकर, आया मधुमास!! |
शनिवार, 15 फ़रवरी 2025
दोहे "हुआ शीत का अन्त" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- सरदी का मौसम गया, हुआ शीत का अन्त। खुशियाँ सबको बाँटकर, वापिस गया बसन्त।। -- गरम हवा चलने लगी, फसल गयी है सूख। घर में गेहूँ आ गये, मिटी कृषक की भूख।। -- प्रणय दिवस के साथ में, सूरज हुआ जवान। नभ से आग बरस रही, तपने लगे मकान।। -- हिमगिरि से हिम पिघलता, चहके चारों धाम। हरि के दर्शनमात्र से, मिटते ताप तमाम।। -- दोहों में ही है निहित, जीवन का भावार्थ। गरमी में अच्छे लगें, शीतल पेय पदार्थ।। -- करता है लू का शमन, खरबूजा-तरबूज। ककड़ी-खीरा बदन को, रखते हैं महफूज।। -- ठण्डक देता सन्तरा, ताकत देता सेब। महँगाई इतनी बढ़ी, खाली सबकी जेब।। -- |
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...