-- हर किसी की जिन्दगी है, बस अधूरी जिन्दगी। बाँध लो बिस्तर जहाँ से, हो चुकी अब बन्दगी।। -- इक अधूरी प्यास को, सब साथ लेकर जायेंगे, प्यार के नग़में कभी, फिर लौट कर नही आयेंगे, काम अच्छे कर चलो, होगी नही शरमिन्दगी। बाँध लो बिस्तर जहाँ से, हो चुकी अब बन्दगी।। -- कण्टकों की राह में, पत्थर गड़ेंगे पाँव में, रात दिन चलना पड़ेगा, धूप में और छाँव में, स्वर्ग होगा भाग्य में, या फिर नरक की गन्दगी। बाँध लो बिस्तर जहाँ से, हो चुकी अब बन्दगी।। -- जब चलेगी बात, गाँवों की गली में प्रीत की, गुन-गुनायेगा कड़ी, जब कोई मेरे गीत की, फिर कोई गुलशन खिलेगा, जी उठेगी जिन्दगी। बाँध लो बिस्तर जहाँ से, हो चुकी अब बन्दगी।। -- हर किसी की जिन्दगी है, बस अधूरी जिन्दगी। बाँध लो बिस्तर जहाँ से, हो चुकी अब बन्दगी।। -- |
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गुरुवार, 4 मई 2023
गीत "जी उठेगी जिन्दगी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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