-- अपने पतियों पर करें, सभी नारियाँ गर्व। करवाचौथ सुहाग का, होता पावन पर्व।। -- सजनी करवाचौथ पर, रखती है उपवास। साजन-सजनी के लिए, दिवस बहुत ये खास।। -- जन्म-जिन्दगीभर रहे, सबका अटल सुहाग। साजन-सजनी में सदा, बना रहे अनुराग।। -- जरा-जरा सी बात पर, कभी न हो तकरार। पति-पत्नी के बीच में, आये नहीं दरार।। -- प्रीति सदा बढ़ती रहे, आपस में हो प्यार। पावन करवाचौथ है, निष्ठा का त्यौहार।। -- वंश-बेल चलती रहे, हँसी-खुशी के साथ। पति-पत्नी का उमर भर, रहे सलामत साथ।। -- परम्परा बदली बहुत, बदल न पाया ढंग। अब भी पर्वों का चलन, नहीं हुआ है भंग।। -- माता करती कामना, सुखी रहे परिवार। छिने न करवाचौथ का, बहुओं से अधिकार।। -- |
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मंगलवार, 31 अक्टूबर 2023
दोहे "करवाचौथ-निष्ठा का त्यौहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
शनिवार, 28 अक्टूबर 2023
दोहे "शरदपूर्णिमा पर्व-पावस का त्यौहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
शशि की किरणों में भरी, सबसे अधिक उजास। शरदपूर्णिमा भूमि पर, लाती है उल्लास।१। -- आज धरा पर लक्ष्मी, आने को तैयार। शरदपूर्णिमा पर्व पर, लेती हैं अवतार।२। -- पर्वों का पर्याय है, स्वयं कार्तिक मास। सरदी का होने लगा, अब कुछ-कुछ आभास।३। -- दीपमालिका आ रही, लेकर अब उपहार। देता शुभसन्देश को, पावस का त्यौहार।४। -- चमक उठे हैं आज फिर, कोठी-महल-कुटीर। नदियों में बहने लगा, निर्मल पावन नीर।५। अमृत वर्षा कर रही, शरदपूर्णिमा रात। आज अनोखी दे रहा, शरदचन्द्र सौगात।६। खिला हुआ है गगन में, उज्जवल-धवल मयंक। नवल-युगल मिलते गले, होकर आज निशंक।७। निर्मल हो बहने लगा, सरिताओं में नीर। मन्द-मन्द चलने लगा, शीतल-सुखद समीर।८। शरदपूर्णिमा आ गयी, लेकर यह सन्देश। तन-मन, आँगन-गेह का, करो स्वच्छ परिवेश।९। फसल धान की आ गयी, खुशियाँ लेकर साथ। भरा रहेगा धान्य से, मजदूरों का हाथ।१०। |
मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023
"दशहरा-राम की जय-जयकार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- रावण का वध हो गया, गयी बुराई हार। विजयादशमी विजय का, पावन है त्यौहार।१। जो दुष्टों के दलन का, करता काम तमाम। उसका ही होता सदा, जग में ऊँचा नाम।२। मर्यादाओं का रखा, दुनिया में आधार। इसीलिए तो राम की, होती जय-जयकार।३। त्यौहारों का कीजिए, नहीं कभी उपहास। सब पर्वों के मूल में, घटनाएँ हैं खास।४। विजय पर्व पर बाँचिए, स्वर्णिम निज इतिहास। हो जायेगा आपको, गौरव का आभास।५। सत्यनिष्ठ होकर यहाँ, जो करता काम। कहलाता है जगत में, वो ही राजा राम।६। सुख-सुधिधाएँ त्यागना, नहीं यहाँ आसान। निष्कामी इंसान का, होता है गुण-गान।७। अन्न उगाकर खेत में, कृषक नहीं सम्पन्न। फिर भी सुमन समान वो, रहता सदा प्रसन्न।८। नहीं आज भी सत्य का, कोई कहीं विकल्प। सत्य बोलने का करो, धारण अब संकल्प।९। मंजिल पाने के लिए, बदलो अपना ढंग। अच्छे लोगों का करो, जीवन में तुम संग।१०। |
रविवार, 22 अक्टूबर 2023
दोहे "अष्टमी-नवमी और विजयादशमी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
त्यौहारों की शृंखला, लाते हैं नवरात्र।। साफ कीजिए नित्य ही, मन के मैले पात्र।। -- अगर आचरण शुद्ध हो, उज्जवल रहे चरित्र। प्रतिदिन तन के साथ में, मन भी रहे पवित्र।। -- दुर्गा माँ की अष्टमी, देती है सन्देश। जग में पूजा-पाठ का, बन जाये परिवेश।। -- नवमी तो श्रीराम की, करती मार्ग प्रशस्त। बैरी के कर दीजिए, सभी हौसले पस्त।। -- विजयादशमी विजय का, है पावन त्यौहार। उत्सव मानवमात्र के, जीवन का आधार।। -- |
रविवार, 15 अक्टूबर 2023
दोहे "फिर से नूतन रंग" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
नभ से बादल छँट गये, निर्मल हुए पहाड़। अपने-अपन भवन को, लोग रहे हैं झाड़।। धरती ने धारण किया, हरा-भरा परिधान। खेतों में लहरा रहे, खुश हो करके धान।। बारिश से जो हो गयीं, दीवारें बदरंग। उन पर अब पुतने लगे, फिर से नूतन रंग।। सबके अपने ढंग हैं, सबके अलग रिवाज। श्राद्ध पक्ष में कर रहे, विधि-विधान से काज।। थोड़े दिन के बाद में, आयेंगे नवरात्र। मंचन को आतुर दिखे, रामायण के पात्र।। |
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