-- जो प्यासी धरती की, अपने जल से प्यास बुझाते हैं। आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।। -- जो मुद्दत से तरस से थे, जल के बिना अधूरे थे, उन सूखे नदिया-नालों को, निर्मल नीर पिलाते हैं। -- चरैवेति का पाठ पढ़ाने, जो धरती पर आकर के, पतित-पावनी गंगा को, जो सागर तक ले जाते हैं। -- जोर-शोर के साथ गरजकर, अपना नाद सुनाते हैं, बंजर वसुन्धरा में जो, हरियाली लेकर आते हैं। -- जिन्हें देखकर पागल-मधुकर, गुंजन करने को आते, वीराने उपवन में भी, जो सुन्दर सुमन खिलाते हैं। -- आहट से बादल की, जन-जीवन में सुख भर जाता है, मुरझाये चेहरे भी जिनको, देख-देख मुस्काते हैं। -- पौध धान की तो बारिश के, इन्तजार में रहती है, श्रमिक-किसानों के जीवन में, रोज़गार को लाते हैं। -- जल ही जिनका जीवन है, वो नभ को तकते रहते हैं, दादुर-मोर-पपीहा के, जीवन में खुशियाँ लाते हैं। -- बादल से ही इन्द्रदेव का, नाम हमेशा जुड़ा हुआ, इन्द्रधनुष का चौमासे में, “रूप” हमें दिखलाते हैं। -- |
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शनिवार, 22 जून 2024
ग़ज़ल "जो सबकी प्यास बुझाते हैं, वो ही बादल कहलाते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
शुक्रवार, 21 जून 2024
"पूरे किये विनीत ने, पैंतालीस बसन्त" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- छोटे पुत्र विनीत का, जन्मदिवस है आज। बादल नभ में खुशी से, बजा रहा है साज।। -- पूरे किये विनीत ने, पैंतालीस बसन्त। खुशियाँ कुल परिवार में, पसरी हैं अत्यन्त।। -- अपने-अपने ढंग से, लाये सब उपहार। इस अवसर पर दे रहा, मैं तो प्यार अपार।। -- मेरे कर्मों का दिया, प्रभु ने ये प्रतिदान। पढ़-लिख करके बन गये, दोनों पुत्र महान।। -- अनुकम्पा का ईश की, कैसे करूँ बखान। सेवारत सरकार में, मेरी हैं सन्तान।। -- इस पड़ाव में उमर के, नहीं मुझे कुछ चाह। बस मुझको परिवार की, मिलती रहे पनाह।। -- देता शुभ आशीष मैं, तुमको सौ-सौ बार। रहना घर-परिवार में, बनकर सदा उदार।। -- अभ्यागत के लिए तुम, बन्द न करना द्वार। कभी किसी भी मोड़ पर, होना मत लाचार।। -- |
दोहागीत "ऋषियों का पैगाम" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
-- सुबह-शाम
कर लीजिए, सच्चे मन से योग। तन-मन
को निर्मल करे, योग भगाए रोग।१। -- दुनियाभर
में बन गया, योग-दिवस इतिहास। योगासन
सब कीजिए, अवसर है यह खास।। मानुष
जन्म मिला हमें, करने को शुभकाम। पापकर्म
करके इसे, मत करना बदनाम।। थोड़े
से ही योग से, काया रहे निरोग।। तन-मन
को निर्मल करे, योग भगाए रोग।२। -- सारे
जग को दे दिया, हमने अब सन्देश। हो
जाता है योग से, निर्मल सब परिवेश।। सरदी-गरमी
हो भले, चाहे हो बरसात। करना
योग प्रचार को, देश-नगर देहात।। भोगवाद
के समय में, बहुत जरूरी योग। तन-मन
को निर्मल करे, योग भगाए रोग।३। -- योग
हमारा कर्म है, योग हमारा धर्म। प्राणिमात्र
कल्याण का, छिपा योग में मर्म। गूँजा
पूरे विश्व में, ऋषियों का पैगाम। मन
की मुक्त उड़ान पर, देता
योग लगाम।। सहययोग
करना सदा, मत करना हठयोग। तन-मन
को निर्मल करे, योग भगाए रोग।४। -- चहक
जायेगा सुमन जब, महकेगा उद्यान। वेदों
ने हमको दिया, मन्त्रों में
विज्ञान।। जगतनियन्ता
ईश ने, हमको दिया विधान। जीवन
जीने के लिए, राह चुनों आसान।। दुनियादारी
का करो, संयम से उपभोग। तन-मन
को निर्मल करे, योग भगाए रोग।५। -- |
गुरुवार, 20 जून 2024
गीत "वहाँ लोग नीलाम हो गये" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गुमनामों की इस बस्ती में, नेकनाम बदनाम हो गये। जो मक्कारी में अव्वल थे, वे सारे सरनाम हो गये।। -- जो करते हैं दगा-फरेबी, वो पाते हैं दूध-जलेबी, सच्चाई के सारे गहने, महफिल में नीलाम हो गये। जो मक्कारी में अव्वल थे, वे सारे सरनाम हो गये।। -- न्यायालय में न्याय बिक रहा, सरे-आम अन्याय टिक रहा, पंच और सरपंच अधिकतर, पक्के बेईमान हो गये। जो मक्कारी में अव्वल थे, वे सारे सरनाम हो गये।। -- नेता अभिनय सीख रहे हैं, दोराहों पर चीख रहे हैं, ऊपर से इन्सान लग रहे, भीतर से हैवान हो गये। जो मक्कारी में अव्वल थे, वो सारे सरनाम हो गये।। -- चौराहों से गांधी-बाबा, देख रहे हैं खून-खराबा, सत्य-अहिंसा वाले गुलशन, बेमौसम वीरान हो गये। जो मक्कारी में अव्वल थे, वे सारे सरनाम हो गये।। -- दल-दल में है केवल दलदल, भरा हुआ नस-नस में छलबल, बनते हैं कानून जहाँ पर, वहाँ लोग नीलाम हो गये। जो मक्कारी में अव्वल थे, वे सारे सरनाम हो गये।। -- मची हुई है मारामारी, बची नहीं है कुछ खुद्दारी, जन सेवा में धन सेवा के, मतलब के अब काम हो गये। जो मक्कारी में अव्वल थे, वे सारे सरनाम हो गये।। तन्त्र हो गया आज घिनौना, बना आदमी अब तो बौना, सत्य-अहिंसा के संचालक, आज अनैतिक धाम हो गये। जो मक्कारी में अव्वल थे, वे सारे सरनाम हो गये।। -- |
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आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
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"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
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