-- सम्बन्धों का है यहाँ, अजब-गजब संसार। घरवाली से भी अधिक, साली से है प्यार।। -- अपनी बहनों से नहीं, भाई करते प्यार। किन्तु सालियों से करें, प्यारभरी मनुहार।। -- जीजा-साली का बहुत, होता नाता खास। जिनके साली हैं नहीं, वो हैं बहुत उदास।। -- साली से अनुराग है, सालों से ससुराल। साली जीजा का रखे, सबसे ज्यादा ख्याल।। -- साली जीजा के लिए, होती है अनुकूल। लगती उसकी गालियाँ, जीजा जी को फूल।। -- साली के बिन तो लगे, सूना सब संसार। सम्बन्धों का सालियाँ, होती हैं आधार।। -- छोटी हो चाहे बड़ी, साली रस की खान। इसीलिए तो सब करें, साली का गुणगान।। -- साली है ऐसा सुमन, जिसमें है मकरन्द। साली की तो गन्ध से, मिल जाता आनन्द।। -- कभी रहे इकरार तो, कभी रहे इनकार। जीजा साली में चले, मधुर-मधुर तकरार।। -- जब करती हैं सालियाँ, खुलकर हँसी मजाक। घरवाली यह देखकर, रह जाती आवाक।। ---- आधी घरवाली नहीं, कहना इसको मित्र। रखना हरदम चाहिए, अपना साफ चरित्र।। |
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सोमवार, 14 अक्तूबर 2024
दोहे "साली रस की खान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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