श्री गणेश चतुर्थी -- आदिदेव के नाम से, करना सब शुभ-कार्य। गणपति की पूजा करो, कहते धर्माचार्य।। -- भर देता नवऊर्जा, चतुर्दशी का पर्व। गणपति के त्यौहार पर, भक्तों को है गर्व।। हुआ चतुर्थी से शुरू, गणपति जी का पर्व। हर्षित होते दस दिवस, सुर-नर, मुनि गन्धर्व।। वन्दन-पूजन से किया, सबने विदा गणेश। विघ्नविनाशक आप ही, सबके हो प्राणेश।। बाधाओं का शमन हो, मिट जायेंगे रोग। मोदक से विध्नेश को, आप लगायें भोग।। रमा और माँ शारदे, रहें आपके साथ। रखना मेरे शीश पर, गणनायक जी हाथ।। मूषक ढोता आपका, भारी-भरकम भार। गणपति मेरे सदन में, आओ बारम्बार।। |
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बुधवार, 27 अगस्त 2025
दोहे "श्री गणेश चतुर्थी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मंगलवार, 26 अगस्त 2025
गजल "मिलकर बहुत अच्छा लगा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मन-सुमन
खिलकर बहुत अच्छा लगा बरसात
में मिलकर बहुत अच्छा लगा बाग में
चहका बहारों का चमन साथ
में चलकर बहुत अच्छा लगा दूर
अब सारे गिले-शिकवे हुए मैल
को धुलकर बहुत अच्छा लगा प्यार
के सैलाब में जब फँस गये ताल
में पलकर बहुत अच्छा लगा हाथ
में रेशम की डोरी आ गयी चाकेदिल
सिलकर बहुत अच्छा लगा ख्वाब
का दरिया हकीकत सा लगा बदन
को मलकर बहुत अच्छा लगा रुप
के बादल बरसकर थम गये आग
में जलकर बहुत अच्छा लगा |
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