जिन वीरों ने युद्ध में, प्राण दिये थे वार। शत-शत नमन उन्हें करे, भारत बारम्बार।। -- सैन्य कैम्प ने द्रास के, रचा अजब इतिहास। करगिल विजय दिवस बना, दुनियाभर में खास।। -- रक्षा अपने देश की, करते वीर जवान। सेना पर अपनी हमें, होता है अभिमान।। -- बैरी की हर चाल को, करते जो नाकाम। सैनिक सीमा पर सहें, बारिश-सरदी-घाम।। -- सैन्य ठिकाने जब हुए, दुश्मन के बरबाद। करगिल की निन्यानबे, हमें दिलाता याद। -- अपना ही लद्दाख है, अपना ही कशमीर। कभी न देंगे पाक को, हम अपनी जागीर।। -- किसी घोषणा पत्र पर, अमल न करता पाक। रहे शुरू से पाक के, मकसद हैं नापाक।। -- अब भी चलता जा रहा, पाकिस्तान कुचाल। धमकाता है शेर को, सीमा पर शृंगाल।। -- |
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गुरुवार, 25 जुलाई 2024
दोहे "करगिल विजय दिवस-हमें दिलाता याद" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ओजपूर्ण रचना ,कारगिल के शहीदों को इससे सुंदर शब्दांजलि और.क्या हो सकती है.सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकमाल का सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंअब भी चलता जा रहा, पाकिस्तान कुचाल।
जवाब देंहटाएंधमकाता है शेर को, सीमा पर शृंगाल।।
वाह!!!!
लाजवाब ।